कानून बनाओ या अध्यादेश, मंदिर से कम कोई समझौता नहीं
साधू संतों ने भरी हुंकार
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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। देशभर के साधु संतों ने रविवार को यहां तालकटोरा स्टेडियम से राममंदिर निर्माण के लिए धर्मादेश जारी कर दिया। अखिल भारतीय संत समिति की ओर से आयोजित इस दो दिवसीय संत सम्मेलन में विचार चिंतन ओ मंथन के बाद धर्मादेश जारी किया गया। पांच हजार साल में ऐसा पहला वाकया है कि किसी भव्य कार्य के लिए धर्मादेश जारी किया गया।संतों के बढ़े हुए कदम अब रुकने वाले नहीं। संतों ने इसके लिए तीन विकल्प सुझाए। बातचीत, उच्चतम न्यायालय से विनती या सरकार दोनों सदनों के जरिये अध्यादेश लाकर इस प्रक्रिया को पूर्ण करे।मंच का संचालन कर रहे शंकराचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि जनता को जागरूक करने के लिए 25 नवम्बर को अयोध्या और बैंगलोर में तथा 9 दिसंबर को दिल्ली धर्म सभाएं होंगी।
अंतिम सत्र की अध्यक्षता कर रहे ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने मंदिर निर्माण का उपयुक्त समय बताया। समिति के निदेशक आचार्य महामंडलेशवर स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा संतों की इच्छा और आशीर्वाद है कि मन्दिर बने। समिति को विश्व हिंदू परिषद का पूरा संरक्षण प्राप्त है इसलिए कार्य में आशंका का तो सवाल ही नहीं उठता। इस धर्मादेश को जैन मुनि और सिख संगत का भी समर्थन प्राप्त हो गया है। सबने समवेत स्वर में भगवान राम को राष्ट्रनीत का प्रतीक बताया।
25 नवम्बर को नागपुर में भी धर्मसभा आयोजित की जाएगी। इससे पहले प्रदेशवार साधू संतो ने विभिन्न समस्याओं को रखा। श्री श्री रविशंकर जी महाराज ने सबरीमाला प्रकरण पर कहा कि वहां भक्तों की ओर से समस्या नही सवाल वे उठा रहे हैं जिन्हें कुछ भी लेना देना नहीँ। उनके चहरे बेनकाब हो रहे हैं। वहां नाहक ही आक्रोश की लहर उठ खड़ी हुई है। संतों का काम है जहाँ आग लग जाये वहां बुझाना और जहां आग बुझ जाए वहां आग लगाना। घुसपैठ को गंभीर समस्या बताते हुए मांग की गई कि सरकार पूर्वोत्तर राज्यों में एनआरसी लाए ताकि विघटनकारी तत्वों से सावधान किया जा सके। गौ रक्षा, मंदिरों में अराजकता, कुरीतियों से निपटने के लिए संतों ने अपील की कि सरकार व्यवस्थागत कदम उठाए।
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