हिंसा की अपेक्षा अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक : राष्ट्रपति कोविंद
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नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि 15 अगस्त का दिन सभी भारतीयों के लिए पवित्र है। हमारा राष्ट्र ध्वज 'तिरंगा' हमारी अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय जीवन में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है तथा देशवासियों को निरर्थक विवादों और भटकाने वाले मुद्दों में नहीं उलझना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कोविंद ने कहा कि देश आज निर्णायक दौर से गुजर रहा है। ऐसे में आर्थिक और सामाजिक समानता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और न ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें। राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के अहिंसा के उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंसा की अपेक्षा अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है। प्रहार करने की अपेक्षा संयम बरतना अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। अहिंसा का यह मंत्र 21वीं शताब्दी में भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि हम आज जो सामाजिक और आर्थिक पहल कर रहे हैं, उन्हीं से तय होगा कि हमारा देश कहां तक पहुंचा है। ग्राम स्वराज अभियान के दायरे में उन 117 आकांक्षी जिलों को भी शामिल कर लिया गया है, जो आजादी के सात दशक बाद भी हमारी विकास यात्रा में पीछे रह गए हैं। इस बार स्वाधीनता दिवस के साथ एक खास बात जुड़ी हुई है। 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे। गांधीजी ने केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया था बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सामने, सामाजिक और आर्थिक पिरामिड में सबसे नीचे रह गए देशवासियों के जीवन-स्तर को तेजी से सुधारने का अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि ग्राम स्वराज अभियान का कार्य केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह अभियान सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश हम सब लोगों का है न कि केवल सरकार का। एकजुट होकर हम अपने देश के हर नागरिक की मदद कर सकते हैं। एकजुट होकर हम अपने वनों और प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण कर सकते हैं, हम अपने ग्रामीण और शहरी पर्यावास को नया जीवन दे सकते हैं। हम सब ग़रीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर कर सकते हैं। हम सब मिलकर ये सभी काम कर सकते हैं। यद्यपि इसमें सरकार की प्रमुख भूमिका होती है, परंतु एकमात्र भूमिका नहीं।
राष्ट्रपति ने महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने के अवसर और अधिकार देने पर जोर देते हुए कहा कि महिलाएं अपनी क्षमता का उपयोग चाहे घर की प्रगति में करें या फिर हमारे कार्यस्थल या उच्च शिक्षा-संस्थानों में महत्वपूर्ण योगदान देकर करें, उन्हें अपने विकल्प चुनने की पूरी आजादी होनी चाहिए।
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