Home > Lead Story > गलतियों को स्वीकारने की जिनकी आदत नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं : प्रधानमंत्री

गलतियों को स्वीकारने की जिनकी आदत नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं : प्रधानमंत्री

गलतियों को स्वीकारने की जिनकी आदत नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं : प्रधानमंत्री
X

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषणा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान विपक्ष पर कई हमले किए। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की कुछ न कुछ ऐसी समस्या है कि ये विजय को भी नहीं पचा पाते और 2014 के बाद से मैं देख रहा हूं कि ये पराजय को भी स्वीकार नहीं कर पाते। चुनाव प्रक्रिया में सुधार होते रहे हैं और होते रहने चाहिए। खुले मन से इस पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन बिना चर्चा के ये कह देना कि हम एक देश-एक चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, कम से कम चर्चा तो करनी चाहिए। ये समय की मांग है कि देश में कम से कम मतदाता सूची तो एक हो।

राज्यसभा में पीएम मोदी ने विपक्ष पर किए ये 10 वार

- कभी सदन में हम भी 2 रह गए थे। हमको 2 या 3 बस, कहकर बार-बार हमारी मजाक उड़ायी जाती थी। लेकिन हमें कार्यकर्ताओं पर भरोसा था, देश की जनता पर भरोसा था। हममें परिश्रम करने की पराकाष्ठा थी और इससे हमने फिर से पार्टी को खड़ा किया। हमने ईवीएम पर दोष नहीं दिया था।

- जब स्वयं पर भरोसा नहीं होता है, सामर्थ्य का अभाव होता है, तब फिर बहाने ढूंढे जाते हैं। आत्मचिंतन करने और अपनी गलतियों को स्वीकारने की जिनकी तैयारी नहीं होती वो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ते हैं। जिससे अपने साथियों को बताया जाये कि देखो देखो हम तो EVM के कारण हारे।

- इस चुनाव की एक विशेषता है कि ईस्ट,वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी कौने से बहुमत के साथ बीजेपी और एनडीए जीतकर आए हैं। सभी क्षेत्रों में हमें स्वीकृत मिली है। मैं सिर झुकाकर कोटि-कोटि मतदाताओं का अभिनंदन करता हूं: पीएम

- क्या वायनाड, रायबरेली में हिंदुस्तान हार गया था? बहरामपुर में हिंदुस्तान हार गया क्या? क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया? ये क्या तर्क है? यानी कांग्रेस हारी देश हार गया। मतलब कांग्रेस यानी देश और देश यानी कांग्रेस। अहंकार की भी एक सीमा होती है।

- इतने बुरे दिन हमने देखे लेकिन कार्यकर्ताओं पर हमें भरोसा था, हमारे विचारों पर हमें भरोसा था, देश की जनता पर हमें भरोसा था और परिश्रम और त्याग के बल पर हमने उस निराशाजनक वातावरण में विश्वास पैदा करके हमने पार्टी को फिर से खड़ा किया

- अपनी सोच की मर्यादा के कारण इतने बड़े जनादेश को ये कह दें आप तो चुनाव जीत गए लेकिन देश चुनाव हार गया। मैं समझता हूँ इससे बड़ा देश के लोकतंत्र का अपमान नहीं हो सकता, इससे बड़ा जनता का अपमान नहीं हो सकता

- 55-60 वर्ष तक देश को चलाने वाला एक दल 17 राज्यों में एक भी सीट नहीं जीत पाया तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि देश हार गया?

- 2019 का चुनाव एक प्रकार से दलों से भी परे देश की जनता लड़ रही थी। देश की जनता ने इस चुनाव को अपने सर पर उठा लिया था और जनता एक प्रकार से ख़ुद सरकार के कामों की बात लोगों तक पहुंचाती थी : पीएम

- ये तक कह दिया कि देश का किसान बिकाऊ है। दो-दो हजार रुपये की योजना के कारण किसानों के वोट खरीद लिए गए। मैं मानता हूं कि मेरे देश का किसान बिकाऊ नहीं हो सकता। ऐसी बात कहकर देश के करीब 15 करोड़ किसान परिवारों को अपमानित किया गया है।

- हमें गर्व होना चाहिए कि भारत की चुनाव प्रक्रिया विश्व में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। इस अवसर को हमें खोना नहीं चाहिए।

Updated : 26 Jun 2019 4:33 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top