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भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री एवं स्वदेश के आद्य संपादक अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, पंचतत्व में विलीन

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री एवं स्वदेश के आद्य संपादक अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, पंचतत्व में विलीन
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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को शाम पांच बजे यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती थे। बुधवार को उनकी तबियत ज्यादा खराब होने पर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन हो गए है। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल में राजकीय सम्मान के साथ हुआ। बेटी नमिता भट्टाचार्य ने वाजपेयी को मुखाग्नि दी। स्मृति स्थल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम नेताओं ने श्रद्धांजलि दी।



वाजपेयी की पहचान राजनेता से पहले एक कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता की रही। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले नेताओं में से एक रहे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवनभर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

स्वदेश में कंप्यूटर कम्पोजिंग इकाई के उद्धघाटन के दौरान पूजन करते हुए अटल जी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर अपना जीवन प्रारंभ करने वाले वाजपेयी ने जीवनभर अपने संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मंत्री थे।

उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा वाजपेयी के घर 25 दिसंबर 1924 को अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ। उनके पिता मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। अटल जी की स्नातक तक की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। उन्होंने कानपुर के डीएवी कालेज से राजनीति शास्त्र में एमए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ कानपुर में ही एलएलबी की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गए।वाजपेयी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, इसके साथ-साथ वह पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन के काम का भी बखूबी निर्वहन किया। भारतीय राजनीति और राष्ट्र के प्रति उनके योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2014 दिसंबर में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

स्वदेश द्वारा प्रकाशित "अमृत अटल" के विमोचन के दौरान ...स्वदेश परिवार के सदस्य एवं स्व. अटल बिहारी वाजपेयी

वाजपेयी ने चुनावी राजनीति में पहली बार 1955 में कदम रखा किंतु उन्हें सफलता नही मिली। उसके बाद उन्होंने 1957 में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव में नामांकन किया और चुनावी सफलता हासिल कर पहली बार संसद की दहलीज लांघी। 1957 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार में उन्होंने 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री के रूप में देश को अपनी सेवाएं दीं।


1980 में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर वाजपेयी ने जनता पार्टी छोड़ दी और इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नींव पड़ी। 06 अप्रैल 1980 भाजपा की स्थापना के साथ ही वाजपेयी उसके पहले अध्यक्ष चुने गए। वह दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। वाजपेयी ने पहली बार 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 24 दलों की गठबन्धन सरकार ने पांच वर्षों में देश में विकास के नए आयाम गढ़े। संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली बार हिन्दी में भाषण देने का रिकार्ड भी अटल के नाम है|

2004 के आम चुनाव के बाद से अटल विहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य खराब होने लगा और उन्होंने धीरे-धीरे खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया। वाजपेयी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए

- पोखरण परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की कतार में ला खड़ा किया।

- इसके अलावा देश के चारों छोरों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए वाजपेयी सरकार ने स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की नींव रखी। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा गया।

एक राजनेता से इतर कवि के रुप में भी वाजपेयी ने कई नए आयाम गढ़े। 'मेरी इक्यावन कविताएं' उनका प्रसिद्ध कविता संग्रह है।

Updated : 18 Aug 2018 1:49 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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