Home > Lead Story > "हर गाँव, हर गली में शुद्ध चरित्र के स्वयंसेवकों की टोली खड़ी करना, बस यही संघ है"

"हर गाँव, हर गली में शुद्ध चरित्र के स्वयंसेवकों की टोली खड़ी करना, बस यही संघ है"

सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दिया उद्बोधन

हर गाँव, हर गली में शुद्ध चरित्र के स्वयंसेवकों की टोली खड़ी करना, बस यही संघ है
X

नई दिल्ली / स्वदेश वेब डेस्क। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि संघ को समझने के लिए पहले आपको डॉ. हेडगेवार और उनके विचार को समझना होगा। डॉ हेडगेवार का विचार था कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज एकजुट रहेगा तभी शक्तिशाली समृद्धशाली भारत का निर्माण होगा। विज्ञान भवन में उपस्थित देश विदेश से आये बुद्धिजीवियों के बीच अपने सम्बोधन में डॉ भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ का ये विचार बिलकुल नहीं है कि देश में सूर्योदय हमारे मुर्गे की बाग से हो , बल्कि संघ इतना चाहता है कि सूर्योदय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि "संघ के डाॅमिनेंस के आधार पर यदि इस देश में कुछ अच्छा हुआ, ऐसा यदि इतिहास में लिखा गया तो वह संघ की पराजय होगी, परिवर्तन समाज की शक्ति से ही होना चाहिए"।

विज्ञान भवन में " भविष्य का भारत, संघ का दृष्टिकोण " विषय पर एक कार्यक्रम का सोमवार को शुभारम्भ हुआ। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत तीनों दिन मंच से उद्बोधन देंगे। पहले दिन के उद्बोधन में डॉ. मोहन जी भागवत ने बहुत सी ऐसी बातों का उल्लेख किया जिससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना आसान हो जाए। उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए हमारे संस्थापक डॉ. हेडगेवार को समझना होगा उनके विचार को समझना होगा। डॉ. हेडगेवार के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित करने का प्रण लिया था। प्रारम्भिक शिक्षा काल में ही राष्ट्रभक्ति उनके विचारों में समाहित हो गई थी। हम उन्हें जन्म से ही देशभक्त कहते हैं। स्वतन्त्रता आंदोलन से लेकर कांग्रेस के आंदोलनों से जुड़कर कैसे उन्होंने राष्ट्र के लिए संघर्ष किया इसके अनेक उदाहरण डॉ. भागवत ने दिए।

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक मात्र उद्देश्य है सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एकजुट रखना। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आदर्श पुरुषों की पूजा युगों से होती आई है लेकिन उनके आचरणों का पालन कोई नहीं करता। इसलिए हर गाँव में , हर गली में अच्छे शुद्ध चरित्र के स्वयंसेवकों की टोली खड़ी करना ही संघ है इससे ज्यादा कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि हमारा स्वयंसेवक अपने निजी जीवन में क्या करता है ये उसका चयन और अधिकार है लेकिन वो जो भी करे उसका आचरण अच्छा रहे ये चिंता संघ करता है। उन्होंने मंच से कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि यहाँ रोमोट कंट्रोल काम करता है, तो ये उनका भ्रम है। हमारे यहाँ समन्वय बैठकों में कोई पॉलिसी नहीं बनती बल्कि संस्कारों और स्मरण के लिए बैठकें होती हैं।

उन्होंने समाज की वर्तमान हालत की चिंता करते हुए कहा कि डॉ. हेडगेवार ने हमेशा कहा कि हमें ऐसा समाज बनाना है जहाँ न कोई भेद भाव हो, न जात-पात, न ऊंच नीच। क्योंकि अनुशासित और संगठित समाज ही वैभव को प्राप्त करता है। उन्होंने आक्रांताओं के भारत पर जीत हासिल करने को उल्लेखित करते हुए कहा कि मुट्ठीभर लोग जब आये यदि हम संगठित होते तो उनकी पराजय निश्चित थी क्योंकि हमारे पतन से ही देश का पतन होता है।

एक उदाहरण देते हुए डॉ. भागवत जी ने समझाया कि संघ में जो कुछ भी तय होता है वो विचार विमर्श के बाद होता है और स्वयंसेवक ही तय करते हैं। उन्होंने बताया कि जब संघ का नाम तय करने की आवश्यकता महसूस की गई तो स्वयंसेवकों से पूछा गया। तब बैठक में केवल 16 स्वयंसेवक आये। सभी ने अलग अलग नाम सुझाये और अंत मन आम सहमति से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम हमारे संगठन को मिला। ऐसे ही शाखा, बैठकें, प्रशिक्षण, गणवेश सब आवश्यकता के हिसाब से आम सहमति से होता गया। इसमें किसी एक का निर्णय नहीं चलता सब आम सहमति होती है। उन्होंने इसके पीछे छिपी एक मूल वजह बताई कि एक मुख से कही गई बात सीधे पहुँचती है और एक ही बात को अलग अलग मुख से कहा जाये तो कई बार उसके अलग अलग अर्थ निकलते हैं।

डॉ. भागवत जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा एक एक व्यक्ति राष्टृभक्ति के साथ साथ समाज सेवा को भी सर्वोपरि मानता है। देश में कही भी आपदा आए हमारे स्वयंसेवक स्वयं पहुँच जाते हैं लेकिन प्रसिद्धि से दूर रहकर मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी पीठ स्वयं नहीं थपथपाते क्योंकि हम किसी पर उपकार नहीं करते इसीलिए हमलोग फेसलेस रहना पसंद करते हैं ताकि किसी की अंदर ये अहंकार ना रहे कि ये मैंने किया। उन्होंने कहा कि "संघ के डाॅमिनेंस के आधार पर यदि इस देश में कुछ अच्छा हुआ, ऐसा यदि इतिहास में लिखा गया तो वह संघ की पराजय होगी, परिवर्तन समाज की शक्ति से ही होना चाहिए"। सत्ता में कौन बैठेगा ये हम तय नहीं करते देश का समाज तय करता है। बस इतना चाहते है कि जो भी बैठे वो देशभक्त हो प्रामाणिक हो। डॉ. भागवत ने कहा कि मैं अपनी नहीं कार्य की प्रसिद्धि चाहता हूँ। देश में सूर्योदय हमारे मुर्गे की बाग से हो ये हमारा विचार नहीं है बल्कि हमारा विचार ये है कि देश में सूर्योदय हो और उसके उजाले से सभी के जीवन में उजाला हो। हम सभी विचारधाराओं का सम्मान करते हैं और सभी को अपने यहाँ आमंत्रित करते हैं कोई हमारा विरोध भी करे तो भी उसे गले लगाते है लेकिन इतनी चिंता अवश्य करते हैं कि हमारी कोई क्षति ना हो।

डॉ. मोहन भागवत जी ने मातृ शक्ति के बारें में आसान भाषा में समझाया और बुद्धिजीवी वर्ग को बताया कि संघ की स्थापना 1925 में हुई। संघ के विचारों पर ही 1931 में महिलाओं के लिए 'राष्ट्रीय सेविका समिति' की स्थापना हुई। दोनों ही संगठन एक-दूसरे के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन समय आने पर एक-दूसरे को सहयोग करते रहते हैं, क्योंकि दोनों ही संगठनों का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के लिए एक बेहतर समाज का निर्माण करना है और बेहतर समाज के लिए व्यक्ति निर्माण।

पहले दिन के कार्यक्रम की प्रस्तावना उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक बजरंगलाल जी ने रखी। मंच पर दिल्ली प्रान्त संघचालक कुलभूषण जी, दिल्ली सह प्रान्त संघचालक आलोक जी उपस्थित थे। इसके अलावा कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत, राजनयिक, राजनेता, सेना और प्रशासनिक सेवाओं से सेवानिवृत अधिकारी, फिल्म एवं सिनेमा जगत, साहित्य, संगीत सहित अन्य कई विधाओं से जुड़े बुद्धिजीवी उपस्थित थे।

प्रथम दिन का पूरा वीडियो...


Updated : 19 Sep 2018 4:43 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top