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गोधरा कांड : ट्रैन की बोगी जलाने के मामले में दो को उम्रकैद, तीन बरी

गोधरा कांड : ट्रैन की बोगी जलाने के मामले में दो को उम्रकैद, तीन बरी
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अहमदाबाद। वर्ष 2002 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस को जलाए जाने के मामले में सोमवार को एसआईटी कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीन लोगों को बरी कर दिया, जबकि दो लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

गोधरा कांड में 59 कार सेवकों को जलाने की बात सामने आई थी। इस संबंध में अहमदाबाद की साबरमती जेल के विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई। मुकदमा 2015 और 2016 के बीच पकड़े गए पांच और आरोपी पर निर्धारित था, जिसमें दो आरोपी दोषी पाए गए हैं और तीन निर्दोष साबित हुए हैं। न्यायाधीश एचसी वोरा ने साबरमती जेल में फैसला सुनाते हुए दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई हैॅ। दोषियों के नाम हैं फारूक भाना और इमरान उर्फ शेरू भटकुक। जो आरोपी बरी हो गए, उनमें हुसैन सुलेमान मोहन, कसम मिमांडी और फारूक ढटिया शामिल हैं।

बता देसे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। करीब 15 साल पहले 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में 59 लोगों की आग में जलकर मौत हो गई। ये सभी 'कारसेवक' थे और अयोध्या से लौट रहे थे। सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची, उसके एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं और धुएं का गुबार निक। साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच के अंदर भीषण आग लगी थी। कोच में मौजूद यात्री उसकी चपेट में आ गए। इनमें से ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। आग से झुलसकर 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इस घटना को बड़ा राजनीतिक रूप दे दिया गया और गुजरात के माथे पर एक अमिट दाग लग गया।

सोमवार को जिन पांचों आरोपियों के भाग्य का फैसला अदालत ने किया, वे सभी 2002 के बाद से फरार थे और 2015-16 में पांचों आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपित हुसैन सुलेमान को मध्य प्रदेश में ज़ाम्बुआ से गिरफ्तार किया गया था। वहीं धन्तिया और भाना को दाहोद रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा कारणों से साबरमती जेल के अंदर एक विशेष अदालत स्थापित की गई, जहां सोमवार को फैसला सुनाया गया।



Updated : 29 Aug 2018 6:58 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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