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शबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं का दमन कर रही है केरल की सीपीएम सरकार: जे.नंदकुमार

शबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं का दमन कर रही है केरल की सीपीएम सरकार: जे.नंदकुमार
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विशेष संवाददाता, भोपाल। केरल की सीपीएम नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शबरीमाला मंदिर युवती प्रवेश संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को गलत तरीके से लागू करने के कारण केरल की कानून व्यवस्था बिगड़ी है। इसका प्रभाव जनसामान्य की दैनिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। सीपीएम गठबंधन वाली सरकार की दमनकारी नीति एवं सीपीएम कार्यकर्ताओं के हिंसक विरोध के कारण चार श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अनेक घायल हैं। इस तरह का आरोप प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे.नंदकुमार ने शुक्रवार को भोपाल में आयोजित प्रेसवार्ता में लगाए। जे.नंदकुमार ने बताया कि सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर के अंदर वहां की पूजा पद्धति के नियमों को तोड़कर कुछ युवतियां प्रवेश कर रही हैं। इसके खिलाफ एक महेन्द्र नाम के आस्थालू ने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

1996 में उच्च न्यायालय ने की युगल पीठ ने एक सुविचारित निर्णय दिया कि यह मंदिरों की आस्था संबंधी विषय है। मंदिर के नियमों और पूजा पद्धति को मानने वाली 10 से ऊपर और 50 के नीचे की उम्र की महिलाएं पूजा के लिए प्रवेश कर सकती हैं। एक उम्र विशेष की महिलाओं का प्रवेश वहां प्रतिबंधित है यह नियम लागू रहना चाहिए। जबकि 2006 में दिल्ली के अभिभाषक नवशाद खान ने जिसकी हिन्दू धर्म में अस्था नहीं थी, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कराए जाने को लेकर एक याचिका दायर की। मेरा संवैधानिक अधिकार खंडित हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुसलमान सबरीमाला का आस्थालू नहीं था। याचिका लगाने वाली महिलाएं दिल्ली की रहने वाली हैं।

सर्वोच्च न्यायालय की पांच जजों वाली पीठ में भी महिला जज ने इस अपील को खारिज कर दिया। लेकिन चार पुरुष जजों ने भी किसी मंदिर विशेष के लिए नहीं बल्कि सभी आस्था स्थलों के लिए सुझात्मक निर्णय दिया। केरल के सबरीमाला मंदिर में तुरंत इस नियम को लागू किया जाए इस तरह का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय ने नहीं दिया था, लेकिन हिन्दू विरोधी गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध केरल के मुख्यमंत्री कॉमरेड पिनराई विजयन ने तुरंत एक बयान दिया कि हम इसे अभी लागू करेंगे। सबरीमाला मंदिर की देखरेख करने वाले देवसम बोर्ड के अध्यक्ष ने पुनर्विचार याचिका की बात कही। लेकिन रात में मुख्यमंत्री ने उसे धमकाया तो सुबह उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। इस तरह केरल के मुख्यमंत्री द्वारा हिन्दू आस्था के ऊपर लगातार प्रहार किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सीपीएम सरकार न्यायालय के निर्णय को गलत तरीके से लागू करने का प्रयास कर रही है। अहिन्दू घोषित नास्तिक महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करा कर मंदिर की 900 साल पुरानी परंपरा को खंडित कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में संविधान की धारा 25 जो कि प्रत्येक नागरिक को अपनी आस्था विश्वास के अनुरूप पूजा करने का अधिकार देती है, की अनदेखी की जा रही है। इसी आधार पर न्यायालय में पुनर्विचार याचिका लगाई गई है।

Updated : 27 Feb 2019 9:15 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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