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खोई जमीन को पाने CAA और NRC को ढ़ाल बनाएगी कांग्रेस

खोई जमीन को पाने CAA और NRC को ढ़ाल बनाएगी कांग्रेस
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कांग्रेस का हाथ उपद्रवियों के साथ : क्या दंगाइयों और उपद्रवियों की हिमायती है कांग्रेस?

नई दिल्ली। राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व पर चारों खाने चित हो चुकी कांग्रेस अब राष्ट्रीय फलक पर उभरने के लिए वह गहरे दांव आजमा रही है। इसके लिए उसने नागरिकता संशोधन कानून ;सीएएद्ध और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ;एनआरसीद्ध को ढ़ाल बनाकर देश में सांप्रदायिकता फैलाने का राडमैप तैयार कर लिया है। इस खतरनाक खेल का आगाज वह दिल्ली चुनाव से पहले कर देना चाहती है। एनआरसी और सीएए पर कांग्रेस ने जो लाइन ली है वह वास्तविकता से परे और आभासी नजरिए को ही चित्रित करता है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दंगाइयों और उपद्रवियों को न्याय दिलाने का जो संकल्प दिखाया, वह बताता है कि कांग्रेस अब अराजक तत्वों को बढ़ावा देकर एक विशेष वर्ग को भ्रमित करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। इसके लिए सोनिया गांधी ने विरोध प्रदर्शनों से जुड़ी घटनाओं की जांच और प्रभावितों को न्याय दिलाने के लिए वाकायदा एक व्यापक उच्चाधिकार आयोग के गठन की मांग उठाई है। शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पार्टी की सर्वाेच्च अधिकार वाली कांग्रेस कार्यकारिणी समिति ;सीडब्ल्यूसीद्ध की बैठक में सोनिया गांधी ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि सरकार की नीतियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने का समय आ गया है। विपक्षी दल होने के नाते लोकतंत्र में विरोध और अपना विचार रखने का कांग्रेस और उसकी अध्यक्षा को यह अधिकार है पर सरकार की नीतियां जनविरोधी हैं, यह सोनिया गांधी कैसे कह सकती हैं? आखिर केंद्र की भाजपा नीत मोदी सरकार प्रचंड बहुमत से चुनकर सत्ता में आई है। और उसने जो भी कानून बनाए, वो संसद से पारित हो जाने के बाद ही उन पर अंतिम मुहर लगाई गई।

ठीक है, सोनिया गांधी को उत्तर प्रदेश सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल पर भरोसा नहीं है, पर जामिया और जेएनयू में जिन चेहरों की पहचान हुई है, उस पर तो भरोसा करना पड़ेगा। यह रिपोर्ट भाजपा की नहीं अपितु, दिल्ली पुलिस की है। जिस रोज सोनिया गांधी कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित कर रही थी, उससे एक दिन पहले ही जेएनयू में उपद्रव करने वाले चेहरों की पहचान दिल्ली पुलिस ने उजागर कर दी है। इन चेहरों में दर्जनभर छात्र वामपंथी विचारधारा वाले हैं। और तो और खुद जमएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष इसमें शामिल बताई जा रही है। मोदी सरकार अगर एक-एक करके राष्ट्रवाद को प्रश्रय देने वाले निर्णय ले रही है तो उसके पीछे व्यापक स्तर पर जनअपील है।

वामपंथी पार्टियां सीएए और एनआरसी पर राजनीति करके अपने हित साधने के लिए नवोदित छात्रों को उकसाने का काम कर रही है, और कांग्रेस इन ताकतों का खुले तौर पर समर्थन कर रही है। इसका मतलब यह हुआ कि सीएए और एनआरसी पर एक बार फिर से कांग्रेस सांप्रदायिक कार्ड खेलने की दिशा में आगे बढ़ती नजर आ रही है। और इसके लिए पार्टी ने कार्यकर्ताओं को भी तैयार रहने की नसीहत दे डाली है। दिल्ली में अगले महीने होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस देशभक्त, सहिष्णु और धर्मनिरपेक्षता का चोला पहनकर लोगों में मिथ्या भ्रम फैलाने का काम करेगी कि भारतीयों को को धर्म के आधार पर बांट दिया गया है। इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस और उसके लोग सड़कों पर उतरेंगे। इस पर बनी रणनीति को क्रियान्वित कराने के लिए ही शनिवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक थी। तभी सीएए और एनआरसी को ढ़ाल बनाकर कांग्रेस ने दोनों कानूनों को विभाजनकारी और भेदभाव करने वाला करार दिया गया है।

बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमेहन सिंह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता प्रियंका वाड्रा, अहमद पटेल, संगठन महामंत्री केसी वेनूगोपाल, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत, पी चिदम्बरम, अम्बिका सोनी, मोतीलाल वोरा, पीएल पुनिया, आनंद शर्मा, तरूण गोगोई, अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया।

Updated : 14 Jan 2020 1:22 PM GMT
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