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सुप्रीम कोर्ट : केंद्र सरकार आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन बनाए पॉलिसी

सुप्रीम कोर्ट : केंद्र सरकार आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन बनाए पॉलिसी
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नई दिल्ली। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले पर सुनवाई करते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि देश भर में आश्रय गृह में रहने वाले बच्चों के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन पॉलिसी बनाए। इस मामले पर अगली सुनवाई तीन हफ्ते के बाद होगी ।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि राज्य के शेल्टर होम्स के बारे में टाटा इंस्टीट्यूट की सोशल ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करें । बिहार सरकार ने कहा कि दिल्ली स्थित एम्स समेत तीन संस्थाएं मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में रेप की शिकार बच्चियों की जांच कर रही हैं। वे उन बच्चियों का मनोवैज्ञानिक-सामाजिक तरीके से भी जांच कर रही हैं।

केंद्र सरकार ने कहा कि एनसीपीसीआर के मुताबिक देश में कुल 9 हजार 300 शेल्टर होम हैं, जिनमें से 32 प्रतिशत जेजे एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं। इनमे रहने वाले बच्चों के साथ यौन अपराधों के मामले में 1575 पोक्सो का केस दर्ज है। तब कोर्ट ने पूछा कि इन मामलों में क्या कार्रवाई हुई? तब केंद्र सरकार ने कहा कि कार्रवाई राज्य सरकारों का काम है, उनसे जानकारी लेनी होगी । तब कोर्ट ने कहा कि हमें बताइए कि किन राज्यों ने ज़रूरी कार्रवाई नहीं की है।

सात अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि वह मामले में एक आरोपित की पत्नी को गिरफ्तार करे, क्योंकि उसनेेसबुक एकाउंट पर सभी पीड़ित बच्चियों के नाम उजागर किये थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने पर दिल्ली महिला आयोग को फटकार लगाई थी । कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग द्वारा मामले में पक्षकार बनने की अर्जी खारिज करते हुए उन्हें सुनने से इनकार कर दिया था । जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि ये काम आपका नहीं है।

जस्टिस मदन बी लोकुर ने दिल्ली महिला आयोग को फटकार लगाते हुए कहा था कि अपनी राजनीति कोर्ट से बाहर रखें। आप होते कौन हो? हम मामले में राजनीति नहीं चाहते। सुनवाई के दौरान दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कोर्ट में मौजूद थीं ।

सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि बिना जांच-पड़ताल के कैसे शेल्टर होम को इतने सालों से फंड दे रहे थे? सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया था कि सालों बाद 2017 में सोशल ऑडिट हुआलेकिन ऑडिट करने वाले वहां के स्टाफ से बात कर निकल गए। बच्चियों से बात ही नहीं की।

एमिकस क्यूरी अर्पणा भट्ट ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि एक बच्ची लापता है। 40- 41 बच्चों को वहां से निकाला जा चुका है। तब जस्टिस मदन बी लोकुर ने पूछा था कि बिहार सरकार ने क्या करवाई की? जो अफसर लापरवाही बरत रहे थे, उनका क्या किया । इस पर बिहार सरकर ने कहा था कि अच्छे और बुरे अधिकारी हर जगह होते हैं। हमने समय समय पर शेल्टर होम का ऑडिट और वहां पर जांच भी कराई थी लेकिन उस दौरान किसी ने उन्हें ऐसी जानकारी नहीं दी। इस पर एमिकस क्यूरी ने कहा था कि अगर शेल्टर होम में बच्चों से अधिकारियों ने बात की होती तो बच्चे बताते कि उन पर क्या बीत रही है लेकिन किसी ने शेल्टर होम में जाकर बच्चों से बात ही नहीं की। शेल्टर होम का सरकारी निरीक्षण केवल खानापूर्ति थी। कभी कोई सोशल ऑडिट हुआ ही नहीं हुआ ।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा था कि एनजीओ को पैसा बिना किसी उचित जांच के दिया गया था, उनकी विश्वनीयता की जांच हुई? कब से पैसा दिया जा रहा है। साल 2004 से आप पैसा दे रहे है, वो भी बिना पड़ताल किये? क्या पीड़ित लड़कियों की कॉउंसलिंग की गई? सिर्फ एक होम का मामला नही है, ऐसे 15 होम हैं। तब बिहार सरकार ने कहा था कि सब पर एक्शन लिया गया है, गिरफ्तारी हुई है । जस्टिस लोकुर ने कहा था कि रोजाना लड़कियों से बलात्कार हो रहे हैं, कभी उत्तर में, कभी दक्षिण में कभी मध्य में। ऐसी घटनाएं रोजाना सुनने को मिल रही हैं। बिहार सरकार ऐसा होने ही क्यों दे रही है? देश मे आखिर हो क्या रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि बलात्कार के मामलों को देखे तो मध्य प्रदेश नंबर वन है और यूपी नंबर दो पर आता है। आखिरकार ये देश मे क्या हो रहा है? इन्हें रोका क्यों नहीं जा रहा?

दो अगस्त को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रेप पीड़िता बच्चियों के फोटो यहां तक कि चेहरा ढककर भी नहीं दिखाने का निर्देश जारी किया है।

इस मामले की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। अभी तक की मेडिकल जांच में 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हो चुकी है। कुछ रेप पीड़ितों ने कोर्ट को बताया था कि उन्हें नशीले पदार्थ दिए जाते थे और उनके साथ मारपीट की जाती थी। उसके बाद उनके साथ रेप किया जाता था। कई रेप पीड़ित बच्चियों को पेट में दर्द रहता था और कई सुबह में अपने को निर्वस्त्र पाती थीं।

इस घटना के प्रकाश में आने के बाद बिहार में सियासी भूचाल आ गया है।

Updated : 14 Aug 2018 9:53 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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