मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती
- अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 29वें दिन की सुनवाई हुई पूरी
X
नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। राम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 29वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा कि हम मान लेते हैं कि राम का जन्म वहां हुआ। पर हिंदू पक्ष चाहता है कि वहां सिर्फ मंदिर रहे। शक नहीं कि भगवान राम का सम्मान होना चाहिए, लेकिन भारत जैसे महान देश में अल्लाह का भी सम्मान है। इसी बुनियाद पर देश बना है। धवन ने कहा कि विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर है कि वह कहां है? पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती है, जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करते हैं। कुछ तो निश्चित स्थान होगा। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता।
राम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच कर रही है। बेंच के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं। सोमवार को कोर्ट ने इस मामले पर एक घंटे ज्यादा यानि शाम पांच बजे तक सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई शुक्रवार को छोड़कर रोजाना पांच बजे तक होगी, सिर्फ शुक्रवार को ही एक बजे तक होगी।
राजीव धवन ने न्यायिक व्यक्ति के बारे में स्पष्ट करते हुए बताया कि किस समय कोई विश्वास एक वस्तुगत रूप बन जाता है और किस समय एक वस्तुगत रूप न्यायिक व्यक्तित्व बन जाता है। जस्टिस भूषण ने कहा कि कहते हैं कि जन्मस्थान महाकाव्यों और कई चीजों पर आधारित है, लेकिन मूर्ति की अवधारणा अलग है। जस्टिस भूषण ने कहा कि स्वयंभू की अवधारणा जन्मस्थान से अलग है। तब राजीव धवन ने कहा कि वादी-5 (रामलला और स्थान) का इरादा सेवादार को नष्ट करके एक नया मंदिर बनाना और उस पर कब्जा करना था। धवन ने कहा कि हम राम का सम्मान करते हैं, जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं। इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा तो देश खत्म हो जाएगा। धवन ने कहा कि विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर है कि वह कहां है? पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती है, जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करते हैं। कुछ तो निश्चित स्थान होगा। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता।
राजीव धवन ने हिंदू पक्ष के द्वारा परिक्रमा के संबंध में गवाहों द्वारा दी गई गवाहियां कोर्ट के सामने रखीं। धवन ने कहा कि परिक्रमा के बारे में सभी गवाहों ने अलग-अलग बात कही है। उनकी गवाही में विसंगति है। धवन ने मुस्लिम और ईसाइयों के पूजा के अधिकार के मामले पर कहा कि पोप के वेटिकन में होने का मतलब यह नहीं है कि ईसाइयों को यहां पूजा का अधिकार नहीं है।
पिछले 20 सितम्बर को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बाबरनामा के आधार पर कहा था कि इमारत मस्ज़िद थी। उसका निर्माण बाबर के हुक्म पर हुआ था। जन्मस्थान के नाम से याचिका दाखिल करने का मकसद मुस्लिम पक्ष को ज़मीन से पूरी तरह बाहर करना था। राजीव धवन ने बाबरनामा के अलग-अलग संस्करण और अनुवाद से साबित करने की कोशिश की थी कि मस्जिद बाबर ने ही बनवाया था। धवन ने उन दस्तावेजों को पढ़ा था जिसके मुताबिक विवादित संरचना पर अरबी और फारसी शिलालेख में अल्लाह लिखा था। (हि.स.)
Swadesh News
Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you