अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के हित में नही, नेहरू की ऐतिहासिक गलती बनी परेशानी
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नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने गुरुवार को संविधान के अनुच्छेद 35ए को पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ऐतिहासिक गलती बताया है। उन्होंने कहा कि संविधान संशोधन के बिना लाया गया यह अनुच्छेद राज्य के नागरिकों के हित में नहीं है।
उल्लेखनीय है कि संविधान का अनुच्छेद 35ए मूल संविधान का हिस्सा नहीं रहा है। सरकार ने एक आदेश के जरिए इसे संविधान में जोड़ा था। इसे संसद द्वारा भी पारित नहीं किया गया था। अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह अधिकार देता है कि वह 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा तय कर सके और उन्हें चिन्हित कर विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके। यह अनुच्छेद परोक्ष रूप से विधानसभा को यह अधिकार भी दे देता है कि वह लाखों लोगों को 'स्थायी नागरिक' की परिभाषा से बाहर रख सके और उन्हें हमेशा के लिए शरणार्थी बनाए रखे।
ट्वीटर के माध्यम से वीडियो और लिखित संदेशों में अरुण जेटली ने कहा कि पिछले सात दशकों के बाद यह प्रश्न उठता है कि क्या जम्मू-कश्मीर के बारे में पंडित नेहरु का दृष्टिकोण सही था या नहीं। उनकी नीति के चलते राज्य में अलग अस्तित्व का मामला देश से अलग होने तक पहुंच गया है।
जेटली ने कहा कि अनुच्छेद 35ए संविधान संशोधन के माध्यम से नहीं लाया गया था। इस अनुच्छेद के माध्यम से राज्यों में नागरिकों के साथ भेदभाव किया जा सकता है। वहां कुछ नागरिक ऐसे हैं जिन्हें जमीन खरीदने, राज्य के कॉलेजों में शिक्षा पाने, राज्य सरकार में नौकरी पाने और राज्य की विधानसभा और लोकसभा में मतदान करने के अधिकार से वंचित रखा गया है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहले ही आर्थिक साधन कम हैं, अनुच्छेद 35ए के तहत संसाधनों को बाहर से जुटाना भी संभव नहीं है। इसके चलते राज्य की अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है। वहां नए रोजगार का सृजन नहीं हुआ है। इसका आखिरकार देश की जनता को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर में कानून का राज स्थापित हो। भाजपा सरकार के प्रयासों से वहां कानून के राज की व्यवस्था बनी है। अलगावाद की जड़े जिन ससंथाओं के माध्यम से मजबूत हुई थी उन संगठनों जमाते-इस्लामी और जेकेएलएफ जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगा है उनके कार्यकर्ता जेल में हैं और उनके दफ्तर बंद हो गए हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और आयकर विभाग ने आतंक को होने वाली फंडिंग पर रोक लगाई है। अलगाववादियों की सुरक्षा वापिस ली गई है।
जेटली ने कहा कि केंद्र की सरकारों ने हमेशा यह इच्छा व्यक्त की है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद हमें घाटी में मुख्यधारा की पार्टियों को अधिक स्थान देना चाहिए ताकि अलगाववादी का दायरा सिकुड़ जाए। दो प्रमुख मुख्यधारा की पार्टियां (नेशनल कांफ्रेंस और पीयुप्ल डेमोक्रेटिक पार्टी) आतंकवाद की निंदा करते हुए हमेशा 'किन्तु, परन्तु' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती है। यह पार्टियां अगर अलगाववाद, हिंसा और आतंकवाद से अपने आपको पूरी तरह से दूर कर लें तो ही राज्य में एक अलग महौल बन सकता है। अलगाववाद की आलोचना में नरमी बरतना अच्छा नहीं है। यही कारण है कि उनका अपना स्थान सिकुड़ रहा है और उन्होंने देश को निराश किया है।
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