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श्रीलंका में हिंसक हुआ राजनैतिक संकट, पूर्व मंत्री के गार्ड ने बरसाईं गोलियां, एक की मौत

श्रीलंका में हिंसक हुआ राजनैतिक संकट, पूर्व मंत्री के गार्ड ने बरसाईं गोलियां, एक की मौत
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कोलम्बोश्रीलंका में उत्पन्न राजनीतिक संकट ने उस समय हिंसक रूप ले लिया जब रविवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के विश्वस्त और पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन राणातुंगा के अंगरक्षकों ने नव नियुक्त प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के समर्थकों पर पांच चक्र गोलियां चलाईं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी। पुलिस ने बताया कि गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया और दो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है । इस सिलसिले में सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपीसी) परिसर से एक सुरक्षाकर्मी को गिरफ्तार किया गया है। यह हादसा उस समय हुआ जब क्रिकेटर से राजनेता बने रणतुंगा ने सीपीसी का दौरा किया । इस दौरान कुछ कर्मचारियों ने कार्यालय में उनकी उपस्थिति का विरोध किया। जब रणतुंगा ने इमारत में प्रवेश किया तो नए प्रधानमंत्री राजपक्षे के समर्थकों ने उनका विरोध किया और नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने जब उन्हें बाहर नहीं जाने दिया तो गोलियां चलाई गईं जिसमें तीन लोग घायल हो गए हैं। अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि रणतुंगा के दो सुरक्षाकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। रणतुंगा विक्रमसिंघे के समर्थक हैं जिन्हें राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने बर्खास्त कर दिया था। हालांकि, विक्रमसिंघे ने अपनी बर्खास्तगी को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। शुक्रवार को सिरीसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व दिग्गज राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। इसके बाद से ही राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। उम्मीद है कि देश में सोमवार को नई कार्यवाहक सरकार शपथ लेगी। बर्खास्तगी के बाद विक्रमसिंघे ने संसद का आपात सत्र बुलाने की मांग की थी ताकि वह अपना बहुमत साबित कर सकें। इसके बाद राष्ट्रपति ने 16 नवंबर तक संसद को निलंबित कर दिया था।

नई सरकार के गठन का मिला है न्योता

इस बीच राष्ट्रपति सिसीसेना द्वारा नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके महिंद्रा राजपक्षे ने रविवार को पूरे घटनाक्रम पर बयान जारी कर अपना पक्ष रखा। राजपक्षे ने कहा, यूएनपी-यूपीएफए सरकार इसलिए सत्ता से बाहर हुई क्योंकि यूपीएफए ने गठबंधन छोड़ दिया। इसके बाद मुझे नई सरकार के गठन के लिए प्रधानमंत्री पद को स्वीकार करने का न्योता मिला। बता दें कि यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलायंस पार्टी) राष्ट्रपति सिरिसेना की पार्टी है, जबकि यूनाइटेड नैशनल पार्टी रानिल विक्रमसिंघे की पार्टी है।

इसलिए विक्रमसिंघे को हटाया

राष्ट्रपति सिरिसेना इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने विक्रमसिंघे को उनके अहंकारी स्वभाव के कारण बर्खास्त किया है। उन्होंने साथ ही कहा कि महिंद्रा राजपक्षे को संविधान के तहत नया प्रधानमंत्री बनाया गया है। उन्होंने कहा कि 2015 में जीत के बाद से विक्रमसिंघे का राजनीतिक आचरण अशोभनीय रहा है। उन्होंने कहा, ऐसा लग रहा था कि वह अपने आसपास मौजूद कुछ लोगों की मंडली के लिए श्री लंका के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे थे जिन्हें आम लोगों की सोच से कोई लेना-देना नहीं था।

स्पीकर ने राष्ट्रपति को लिखा खत

स्पीकर ने राष्ट्रपति से पत्र में पूछा कि किन आधारों पर उन्होंने देश की संसद को 16 नवंबर तक के लिए भंग किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले का दूरगामी प्रभाव देश की राजनीति पर पड़ सकता है। स्पीकर ने कहा, 16 नवंबर तक संसद भंग रखने से हमारे देश को गंभीर एवं अवांछनीय परिणाम भुगतने होंगे।

भारत ने जताई स्थिति सामान्य होने की उम्मीद

दूसरी तरफ भारत ने उम्मीद जताई कि श्रीलंका में लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि इन परिस्थितियों में भी भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है और अपनी तरफ से मदद का हाथ बढ़ाता रहेगा। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में राष्ट्रपति उसी स्थिति में नए प्रधानमंत्री नियुक्ति कर सकता है जब मौजूदा प्रधानमंत्री की मौत हो जाए या वह लिखित में इस्तीफा दे दे या फिर संसद में प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास मत पास हो जाए। इस बीच पूर्व श्रीलंकाई खिलाड़ी जयसूर्या ने कहा की विक्रमसिंघे को लोकतंत्र और सुशासन कायम करने के लिए जनादेश मिला है। ऐसे में संसद स्थगित करने का फैसला परामर्श से लिया जाना था।

Updated : 29 Oct 2018 11:22 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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