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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कहा - म्यांमार सरकार रोहिंग्याओं पर जुल्म ज्यादती रोके

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कहा - म्यांमार सरकार रोहिंग्याओं पर जुल्म ज्यादती रोके
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न्यू यॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को म्यांमार में मानवीय अधिकारों की अनदेखी किये जाने की कड़ी निंदा करते हुए अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के प्रति हो रही ज्यादतियों पर रोक लगाए जाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि रोहिंग्याओं के साथ हो रही ज्यादतियों में महिलाओं के साथ बलात्कार, लोगों को ज़बरन जेलों में ठूंसा जाना और हिरासत केंद्रों में अनगिनत मौतें होना सरासर मानवीय अधिकारों का हनन है। प्रस्ताव के समर्थन में 193 सदस्य देशों ने मतदान किया जबकि विपक्ष में मात्र नौ सदस्य देश थे। इनके अलावा 28 सदस्य देशों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराई।

प्रस्ताव में म्यांमार सरकार का आह्वान किया गया है कि वह राखिनी, काचिं और शान राज्यों में रोहिंग्या अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रति उकसाने वाली कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाए । म्यांमार के संयुक्त राष्ट्र स्थित राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित इस प्रस्ताव को बेमानी बताया है और कहा है कि इस प्रस्ताव से म्यांमार में अन्यान्य वर्गों के ध्रुवीकरण का मौक़ा मिलेगा और हालात और जटिल हो जाएंगे।

महासभा की ओर से पारित प्रस्ताव का मतलब म्यांमार सरकार के विरुद्ध भले ही किसी दंडात्मक कार्रवाई की ओर संकेत नहीं देता, और ना ही किसी वैध आदेश की ओर संकेत देता है। इसके बावजूद यह प्रस्ताव दुनिया भर में यह संदेश ज़रूर देता है कि म्यांमार सरकार अपने यहां एक समुदाय विशेष के मानवीय अधिकारों को संरक्षण देने में असमर्थ है। बुद्धिस्ट बहुल म्यांमार सरकार रोहिंग्याओं को एक लंबे अरसे से बांग्लादेश के बंगाली समुदाय के रूप में मानती आ रही है, जबकि यह समुदाय सदियों से म्यांमार के राखिनी राज्य में रहते आ रहे हैं। इस समुदाय के सदस्यों को सन 1982 से नागरिकता का भी अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि 25 अगस्त, 2017 से म्यांमार मिलिट्री ने रोहिंग्या समुदाय के लाखों लोगों के प्रति इतनी ज्यादतियां कीं कि उन्हें बंदूक़ के बल पर ज़बरन देश निकाला दे दिया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस समुदाय के ग्यारह लाख लोगों में से सात लाख 44 हज़ार लोग बांग्लादेश में टेंटों में नारकीय जीवन यापन करने पर विवश हैं। इस समुदाय के लोगों ने दो बार स्वदेश लौटने के लिए क़दम बढ़ाए लेकिन म्यांमार में उपयुक्त जीवन यापन की गारंटी नहीं मिलने के कारण ये लोग आज भी बांग्लादेश में रह रहे हैं।

महासभा ने एक निष्पक्ष अन्तरराष्ट्रीय जांच समिति की रिपोर्ट के मद्देनज़र कहा है कि म्यांमार में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय रोहिंग्या के मानवीय अधिकारों का जिस तरह चीर हरण हुआ है, वह निहायत निंदाजनक है। इस रिपोर्ट में म्यांमार सुरक्षा बलों की ओर से ज्यादतियों का ब्योरा दिया गया है। प्रस्ताव में रोहिंग्या मुस्लिमों के विरुद्ध हो रही ज्यादतियों पर तत्काल रोक लगाए जाने तथा उन्हें मानवीय अधिकार दिए जाने का आह्वान किया गया है।

Updated : 28 Dec 2019 8:19 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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