विश्व अल्जाइमर दिवस : हर तीसरे सेकंड में बन रहा है एक शख्स भुलक्कड़
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। विश्व में कई तरह की खतरनाक बीमारियां हैं। कुछ जानलेवा भी होती हैं तो कुछ बेहद दर्दनाक। लेकिन एक ऐसी बीमारी भी है जो होती एक शख्स को है लेकिन उसका दर्द पूरा परिवार झेलता है। ये बीमारी है अल्जाइमर यानि की भूलने की बीमारी।
हम आपको बता दें कि जिसमें मरीज अपने परिवार के साथ-साथ खुद को भी भूल जाता है। इस भूलने की बीमारी को अल्जाइमर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके बारे में सबसे पहले 1906 में जर्मन के न्यूरोलॉजिस्ट एलोइस अल्जाइमर ने इस बीमारी का पता लगाया था और इन्हीं के नाम पर इस बीमारी का 'अल्जाइमर' (Alzheimer) नाम रखा गया।
विश्व अल्जाइमर दिवस प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के बारे में जागरूकता प्रसारित करने के लिए मनाया जाता है। 1994 में इस दिन की शुरुआत अल्जाइमर डिजीज इंटरनेशनल एसोसिएशन के 10 साल पूरे होने पर की गई थी। तभी से ये दुनियाभर में मनाया जाता है। ये बीमारी ज्यादातर 60 साल की उम्र के बाद ही होती है। ये बीमारी बढ़ती है और पूरी तरह से इंसान सब भूला देता है। लेकिन बता दें कि दुनिया में आज हर तीसरे सेकंड एक शख्स भुलक्कड़ बनता जा रहा है। भागती-दौड़ती जिंदगी के तनाव, सही खानपान व कसरत की कमी और बढ़ती उम्र जैसे कई कारण हमारी याददाश्त छीनने में लगे हुए हैं। डिमेंशिया के ही एक प्रकार अल्जाइमर में खासतौर से बुजुर्ग धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगते हैं। हालांकि सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी इस बीमारी की गिरफ्त में आने लगे हैं।
चीन-अमेरिका के बाद भारत का नंबर
देश मरीज (लाख में)
चीन 95
अमेरिका 42
भारत 41
जापान 31
ब्राजील 16
जर्मनी 16
रूस 13
इटली 12
इंडोनेशिया 12
फ्रांस 12
भारत की जाने स्थिति
40 लाख भारतीय डिमेंशिया से पीड़ित वर्तमान में
16 लाख इनमें से अकेले अल्जाइमर के शिकार
Swadesh Digital
स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in