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लोगों को त्वचा रोगी बना रही गोरा बनने की चाहत

शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र में हो रहा स्टीरॉयड युक्त क्रीमों का उपयोग

लोगों को त्वचा रोगी बना रही गोरा बनने की चाहत
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ग्वालियर। गोरा और खूबसूरत दिखने की चाह हर किसी को होती है। खासकर युवा गोरा बनाने के लिए हर जतन करते हैं, लेकिन यही जतन खतरनाक साबित हो रहा है। लोग त्वचा संबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। लोगों को इसका पता तब चलता है, जब बीमारी काफी बढ़ जाती है और चेहरा खराब होने लगता है क्योंकि लोग गोरा होने के लिए जिस क्रीम का उपयोग कर रहे हैं, उसमें स्टीरॉयड रहता है। यह क्रीम कुछ समय के लिए गोरा तो बना देती है, लेकिन उसके बाद ये चेहरे का हुलिया भी बदल देती है। यह बात गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के चर्म रोग विभाग अध्यक्ष डॉ. अनुभव गर्ग द्वारा 3850 मरीजों पर की गई स्टडी के बाद सामने आई है।

दरअसल बाजार में चेहरे को गोरा करने का दावे करने वाली कई प्रकार की क्रीम की भरमार है। अलग-अलग कम्पनियों द्वारा भ्रामक प्रचार कर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है। इन क्रीमों में स्टीरॉयड रहता है, जो कुछ समय के लिए गोरा तो बना देता है, लेकिन बाद में लोगों त्वचा संबंधी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। डॉ. गर्ग द्वारा 3850 मरीजों पर की गई स्टडी में यह भी सामने आया कि गोरा बनने की चाह में स्टीरॉयड युक्त क्रीम का उपयोग करने वालों में 55 प्रतिशत ग्रामीण और 45 प्रतिशत शहरी लोग हैं। इस स्टडी में यह भी सामने आया कि गोरा बनने की चाह सबसे ज्यादा 18 से 35 साल तक की युवतियों में हैं, जो त्वचा रोगी बन रही हैं।

इस तरह चेहरे को पहुंचता है नुकसान

योग्य चिकित्सक से परामर्श लिए बिना स्टीरॉयड क्रीमों का इस्तेमाल चेहरे के लिए काफी खतरनाक होता है। लम्बे समय तक इनका इस्तेमाल करने से चमड़ी पतली हो जाती है। इसका असर चार सप्ताह में ही दिखने लगता है, और चेहरा ख़राब होने लगता है । क्रीम लगाने से चेहरे पर खुजली होना, लाल चकत्ते पडऩा, चमड़ी पतली होना, धूप में निकलने पर जलन होना, चेहरे पर बाल आ जाना, फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारियां हो जाती है। इसके साथ ही मुंहासे भी निकल आते हैं। यह बीमारी स्टीरॉयड रोजेशिया नाम से जानी जाती है। चेहरे पर हमेशा के लिए दाग पड़ जाते हैं।

आसानी से मिल जाती है यह क्रीम

बाजार में चेहरे को गोरा करने के दावे करने वाले कई क्रीमों की भरमार है। अलग-अलग कम्पनियों द्वारा भ्रामक प्रचार कर लोगों को आकर्षित किया जा रहा है। इसमें कम्पनियों को मोटा मुनाफा होता है। बीटामेथासोन, मोमेटासोन, क्लोबीटासोल आदि स्टीरॉयडयुक्त क्रीम विभिन्न कम्पनियों के नाम से आसानी से बाजार में मिल जाती है। इन क्रीमों का उपयोग लोग मित्रों की सलाह, ब्यूटी पार्लर या मेडिकल स्टोर संचालकों और झोलाछाप चिकित्सकों की सलाह पर करने लगते हैं। इसके बाद में दुष्परिणाम दिखाई देना शुरू हो जाते हैं।

इनका कहना है:-

स्टीरॉयडयुक्त क्रीम के प्रयोग से व्यक्ति गोरा नहीं होता है बल्कि कई बीमारियों का शिकार हो जाता है, इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह से चेहरे पर क्रीमों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

डॉ. अनुभव गर्ग

चर्म, कुष्ठ एवं गुप्त रोग विभाग अध्यक्ष, जीआरएमसी

Updated : 7 Aug 2018 2:09 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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