बताओ तो, क्यों हार जाता हूँ गुना
X
फिर छलका सिंधिया का दर्द, पत्नी भी जता चुकीं है दुख
गुना/निज प्रतिनिधि। एक नहीं, बल्कि पिछले कई चुनाव के बाद से रह-रहकर छलक रहा कांग्रेस महासचिव एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का दर्द एक बार फिर बाहर आया है। दर्द गुना विधानसभा से पराजय का। जिसे सिंधिया बर्दाश्त नहीं कर पा रहे है। कई बार पहले भी वह यह सवाल कांग्रेस कार्यकर्ताओं, विभिन्न समाजजनों की बैठक सहित अन्य मंच पर उठा चुके है कि आखिर क्या कारण है कि वह गुना नहीं जीत पाते है? एक बार फिर यहीं सवाल उन्होने कांग्रेस के पोलिंग एजेंटों से किया। जवाब सिंधिया को पहले भी नहीं मिला था और अब भी नदारद रहा। अलबत्ता जवाब के नाम पर आरोप, प्रत्यारोप, शिकवे-शिकायतें जरुर सांसद के सामने आईं। जिन्हे सुनने से उन्होने इनकार कर दिया।
36 में से 26 जीते, गुना फिर भी हार गए
अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान सांसद सिंधिया ने बीती रात कांग्रेस के पोलिंग एजेंटों की बैठक ली। इस दौरान उन्होने हालिया प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 में से 26 सीटें हम जीते है, गुना फिर भी हार गए। श्री सिंधिया ने बेहद कष्टदायक शब्दों में कहा कि क्या बात है, मुझे बताओ तो लोकसभा हार जाते है, विधानसभा हार जाते है, पहले भी हारते रहे है, फिर हार गए है, क्यो? सांसद ने अन्य जिलों का उदाहरण देते हुए कहा कि अशोकनगर की तीन की तीन सीटें जीते, ग्वालियर की 8 में से 7 जीते, शिवपुरी के नतीजें भी बेहतर रहे। फिर गुना क्यों नहीं जीत सकते। आप भी मंथन करो, मुझमें कमी हो तो बताओ।
वन टू वन की चर्चा
क्षेत्र में चुनावी अभियान के तहत पहुँचे सिंधिया ने बैठक में पोलिंग एजेंटों से वन टू वन चर्चा की। उन्होने कहा कि आगामी 45 दिन उन सभी के लिए काफी अहम है, पूरी ताकत के साथ मैदान में जुटना है। एक की विदाई तो प्रदेश से हो चुकी है, अब दूसरे की करना है।
हर जगह जीतते है, यहां से क्यों हार जाते है हमारे महाराज
सिर्फ ज्योतिरादित्य ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी श्रीमती प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया की पीड़ा भी गुना से हार को लेकर सामने आ चुकी है। हाल ही में अपने पति के लिए जनसमर्थन जुटाने दौरे पर आईं श्रीमती सिंधिया ने महिला कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा के दौरान यहीं सवाल पूछा था कि हर जगह जीतते है, यहां से क्यों हार जाते है हमारे महाराज?
कार्यकर्ताओं में भरी ऊर्जा
सांसद सिंधिया ने पत्रकारों से चर्चा में अपनी पीड़ा को लेकर कहा कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरी गई है। उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वरा शुरु किए गए मैं भी चौकीदार अभियान पर निशाना साधते हुए कहा कि चौकीदार तो चोर है, जनता सब समझ चुकी है।
बेवजह नहीं है सिंधिया का यूं दर्द बयां करना
सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने कार्यकर्ताओं के सामने इस तरह दर्द बयां करना बेवजह नहीं है, बल्कि हर चुनाव में उन्हे मिल रहा जख्म इसका कारण है। चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का, प्रत्याशी खुद सिंधिया हो या उनका कोई सिपहसलार। गुना की जनता ने हाथ का हाथ नहीं थामा है। इतना ही नहीं, हार भी 33 से 45 हजार तक की कांग्रेस के पल्ले पड़ी है। 2008 के चुनाव में भी जब भाजपा भी मैदान में नहीं थी। तब भी जनता ने कांग्रेस पर विश्वास व्यक्त नहीं करते हुए भारतीय जनशक्ति पार्टी के राजेन्द्र सलूजा को विधायक चुनकर भोपाल भेजा था। इस चुनाव में भी इतिहास अपने को नहीं दोहराए, ऐसी कोशिश सिंधिया कर रहे है।
Naveen Savita
Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.