साहित्य समाज का दर्पण: पुरोहित
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सहित्य परिषद की बैठक मेंं हुई साहित्य को लेकर चर्चा
गुना/निज प्रतिनिधि। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, दिशा-दर्शक भी है। वर्तमान परिवेश में नवांकुर साहित्यकारों को 1857 की तरह राष्ट्रवादी रचनोन्मुखी करने की आवश्यकता है । भारत में साहित्य भी क्रांति का जनक रहा है। उक्त उद्गार हिंदी साहित्य सभा, मध्यभारत एवं केंद्रीय श्रमिक बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. बसंत पुरोहितजी ने व्यक्त किए। डॉ. पुरोहित हायर सेकेण्डरी स्कूल क्रमांक 2 में आयोजित साहित्य परिषद की बैक को संबोधित कर कर रहे थे। बैठकका शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती जी के पूजन से हुआ।
गुना में हो राष्ट्रीय सम्मेलन
बैठक में डॉ. पुरोहित ने 25 दिसंबर को राष्ट्रीय साहित्यकार सम्मेलन गुना में करने का प्रस्ताव रखकर अखिल भारतीय साहित्य परिषद कार्यकारिणी से विमर्श किया। जिसे संस्था अध्यक्ष डॉ. रमा सिंह सहित सभी ने सहर्ष स्वीकार किया।देवेंद्र सोलंकी एवं डॉ. हरिकांत अर्पित ने प्रस्ताव का अनुमोदन कर इसे संस्था के लिए गर्व का विषय बताया। बैठक में श्रीमती शोभा सिंह ने व्यवस्थाओं हेतु सभी के संकल्पित होने की बात कही। मंचस्थ उपेन्द्र कुमार एवं अनिल भार्गव ने भी अपने विचार रखे । संचालन डॉ. रमा सिंह ने किया तथा आभार प्रेम सिंह क्षत्रिय ने माना। इस दौरान साहित्यकार सुनील शर्मा, श्रीबालकृष्ण आर्य, शिवेंद्र रघुवंशी, नीतू सोलंकी, श्रीमती दीप्ति गोयल, गोविंद गोयल, विश्वजीत सिसोदिया, सुरेन्द्र चौहान, रामकृष्ण शर्मा, सुरेन्द्र प्रजापति, विकास जाट आदि उपस्थित रहे।
Naveen Savita
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