परमात्मा का ही अंश है इंसान: राघवाचार्य जी
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श्रीराम कथा कर रही भावविभोर, रासलीला मोह रही है मन
गुना/निज प्रतिनिधि। इंसान परमात्मा का ही अंश है, उसे प्रकृति के रहस्यों को जानने की आवश्यकता नहीं है, नाहीं परमात्मा को अलग से जानने-समझने की जरुरत है। अगर वह सिर्फ अपने अंदर ही झांककर देख लें तो उसे परमात्मा के दर्शन हो जाएंगे। यह बात श्रीराम कथा वाचक डॉ. जगतगुरु डॉ. राघवाचार्य जी ने कही। डॉ. राघवाचार्य ने मानस भवन में श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कहा कि उपदेश हमें पेड़ पौधों से मिलता है कण-कण से हमें उपदेश मिलता है, किन्तु जीव ग्रहण नहीं करना चाहता । उन्होने बताया कि जब युधिष्ठिर सरोवर में पानी लेने जाते हैं तो उनसे यह प्रश्न पूछा जाता है कि संसार में सबसे अजूबा क्या है ? तब उन्होने बताया कि दुनिया एक कढ़ाई है। कढ़ाई में प्रतिदिन लाखों जीव मर रहे हैं. किन्तु जो शेष हैं, वह सोचते हैं हम अमर हैं, जबकि ऐसा नहीं है यह मनुष्य की भूल है ।
पुत्र वियोग में दशरथ जी ने त्यागे प्राण
शुक्रवार को श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कथा व्यास ने भगवान श्रीराम के ऋषि वाल्मिकि के आश्रम से अयोध्या लौटने और दशरथ जी के पुत्र वियोग में प्राण त्यागने का प्रसंग सुनाया। यह करुण प्रसंग डॉ. राघवाचार्य जी के श्रीमुख से सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।
सिंहासन पर विराजित कीं खड़ाऊं
उन्होने कहा कि पिता की मृत्यु सुनकर अपने मामा के घर से भरत के साथ शत्रु धनवीर अयोध्या वापस आते हैं । जब उन्हे पता चलता है कि पिताजी की मौत माता भगवान श्रीराम जी के पुत्र वियोग के कारण हुई है तो वह विलाप करते हुए कट्टू वचन कहते हैं । गुरुदेव की आज्ञा से दशरथ की अंत्येष्टि संस्कार कर ब्राह्मणों को बहुत धन आदि का दान करते हैं । कथा व्यास के मुताबिक भारत जी अभिषेक सामग्री की परिक्रमा करके श्रीराम को ही राज्य उत्तराधिकारी बताकर उनकी खड़ाऊ सिंहासन पर विराजमान कर देते है।
रासलीला का आनंद ले रहे श्रद्धालु
मानस भवन में भगवान श्रीराम की कथा के साथ ही श्रद्धालु दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक भगवान श्री रामजी की कथा एवं में रात 8 से 11 बजे तक प्रतिदिन रासलीला का आनंद ले रहे है।
Naveen Savita
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