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कांग्रेस सरकार में टूटने लगा है अपने घर का सपना, वाकई वक्त है बदलाव का

कांग्रेस सरकार में टूटने लगा है अपने घर का सपना, वाकई वक्त है बदलाव का
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सत्ता परिवर्तन के साथ ही लगा प्रधानमंत्री आवास योजना को ब्रेक, सर्वे भी अटका, आवंटित नहीं हो रही राशि

-निज प्रतिनिधि-

गुना। इक बंगला बने न्यारा... सिर पर छत हो और चारदीवारी हो, झोपड़ी हो या महल हो? पर अपना हो। यह हरेक का सपना होता है। लोगों के इस सपने को सच करने का काम कर रही है भाजपानीत केन्द्र सरकार। प्रधानमंत्री आवास योजना अपने घर का सपना आँखों में सजाने वालों के लिए एक उम्मीद बनकर सामने आई थी, जिसके माध्यम से लोगों का यह सपना सच भी होने लगा था, किन्तु ऐन मौके पर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया। भाजपा सरकार की विदाई हो गई और कांग्रेस सत्ता पर आसीन हो गई। वक्त बदलाव का आया और सपने पूरा करने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन को ब्रेक लग गया। योजना अतंर्गत नए आवासों के लिए सर्वे तो अटका ही, पुराने स्वीकृत आवास भी आधे-अधूरे बनकर रह गए। कारण योजना में राशि का आवंटन नहीं हो रहा है। पिछले कुछ समय में इसको लेकर तमाम पत्र लिखे जा चुके है तो व्यक्तिगत आग्रह भी किया जा चुका है, किन्तु सब बेकार, राशि का आवंटन न होना था, न हुआ। वर्तमान में आलम यह है कि लोग आवास के लिए नगर पालिका के चक्कर काटने में लगे हुए है, किन्तु वहां से उन्हे राशि आवंटित नहीं होने का टका का जवाब देकर लौटा दिया जाता है। सबसे ज्यादा परेशान उन हितग्राहियों को है, जिन्होने पक्के मकान की आस में अपने कच्चे आशियाने भी ढहा दिए थे, अब यह लोग बेघर है तो कई हितग्राही सिर पर छत के बजाए तिरपान तानकर रहने को मजबूर है। इनके लिए भी वक्त बदलाव का है।

आधा-अधूरा पड़ा हुआ है निर्माण

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दो तरह से लोगों को दिया जा रहा है। एक में नगर पालिका खुद मल्टी बनाकर लोगों को फ्लैट उपलब्ध करा रही है, जिसमें बैंक फायनेंस शामिल होगा, वहीं दूसरे में हितग्राही का कच्चा मकान या प्लॉट होने पर निर्माण के क्रम में किश्तों में करीब ढाई लाख तक की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। शहर में नपा प्रधानमंत्री आवास के लिए मल्टी पत्रकार कॉलोनी में बना रही है। इसमें 1200 आवास बनाए जा रहे है, यह निर्माण भी आधा-अधूरा ही पड़ा हुआ है, कारण वहीं है राशि का अभाव। नपाध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा ने बताया कि मल्टी तक सडक़ डाली जाना है, जिससे आवागमन सुचारु हो सके, किन्तु पैसे के अभाव में काम नहीं कर पा रहे है। अगर राशि आ जाती है तो सडक़ का काम शुरु कर दिया जाएगा।

प्रशासन के पास अटकी एक हजार हितग्राहियों की सूची

प्रधानमंत्री आवास को लेकर एक हजार हितग्राहियों की सूची प्रशासन के पास अटकी हुई है। नपा द्वारा प्रमाणिकरण के बाद यह सूची प्रशासन को सौपी जाती है। प्रशासनिक स्तर पर सूची के आधार पर सर्वे किया जाता है, तत्पश्चात प्रकरण को स्वीकृति मिलती है, किन्तु सत्ता परिवर्तन के बाद से सर्वे नहीं हो रहा है। 2200 हितग्राहियों की डीपीआर बनाकर भेज दी गई है, किन्तु स्वीकृति प्राप्त नहीं हो रही है। इसी प्रकार 1200 हितग्राही ऐसे है, जिनकी दूसरी किश्त नहीं आ रही है। यह सभी हितग्राही रोज ही नगर पालिका के चक्कर काट रहे है, किन्तु उन्हे कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं मिल रहा है। गौरतलब है कि योजना में पहली किश्त के रुप में 60 हजार रुपए प्रदान किए जाते है तो फिर 40-40 हजार की किश्त दी जाती है, इस तरह ढाई लाख की राशि हितग्राही को उपलब्ध कराई जाती है।

बाबूजी, हम तो न घर के रहे न घाट के

बाबूजी, हम तो न घर के रहे न घाट के। यह पीड़ा है हरदयाल कुशवाह की, जो प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही है। उनका कहना है कि उनके पास कच्चा मकान था, चूंकि प्रधानमंत्री आवास के लिए पात्र हितग्राहियों की सूची में उनका नाम आ गया था तो उन्होने अपना कच्चा मकान गिरा दिया। उम्मीद थी, जल्द ही किश्त मिलेगी और वह अपने सपनों का पक्का आशियाना सजा सकेंगे, किन्तु कहावत सिर मुड़ाते ही ओले वाली चरितार्थ हुई। इधर उन्होने अपना कच्चा मकान ढहाया और उधर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होकर कांग्रेस की सरकार बन गई। उनकी उम्मीदों पर तो जैसे तुषारापात ही हो गया। सत्ता परिवर्तन से लेकर अब तक वह किश्त का इंतजार कर रहे है, किन्तु उनके खाते में पैसे नहीं पहुँचे। नगर पालिका संपर्क करने जाए तो हाथ जोडक़र सब टका सा जवाब पकड़ा देते है कि सरकार बदल गई, पैसा नहीं है। योजना में राशि आएगी तो आपको दे दी जाएगी।

जुगाड़ करके न शुरु कर सकते है और न पूरा बना सकते है

प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के साथ समस्या यह है कि वह योजना में राशि न आने के चलते कई और से राशि जुगाड़ कर न तो निर्माण शुुरु कर सकते है और न अधूरे निर्माण को पूरा कर सकते है। कारण ऐसा करने पर उनकी राशि का आवंटन रुक सकता है। दरअसल योजना में प्रत्येक चरण का निर्माण फोटो खींचकर प्रमाणित करना होता है, तभी अगले चरण की राशि आती है।

ठंड तो निकल गईं, गर्मी रुला देगी, बारिश मार देगी

प्रधानमंत्री आवास योजना में कई हितग्राही ऐसे भी है, जिनकी पहली किश्त तो आ गई थी, जिससे उन्होने आवास का निर्माण शुरु भी कर दिया, किन्तु दूसरी ओर तीसरी किश्त का वह अब तक इंतजार कर रहे है। इन हितग्राहियों का कहना है कि उनका पहली किश्त का निर्माण पूरा हुए महिने भर से अधिक का समय हो चुका है, किन्तु अब तक दूसरी किश्त नहीं आई है। जिससे मकान अधूरा बना पड़ा है। इस स्थिति में कोई छत पर तिरपाल तानकर काम चला रहा है तो किसी ने दीवार के स्थान पर फट्टे तान रखे है। इन लोगों का कहना है कि ठंड तो जैसे-तैसे निकल गई, किन्तु अब अगर जल्द राशि नहीं आती है तो गर्मी रुला देगी और बारिश तो मार ही देगी। किश्त को लेकर यह हितग्राही लगातार नगर पालिका के चक्कर काट रहे है।

सत्ता परिवर्तन होने के बाद राशि के अभाव में कई सारी जनकल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना भी इससे अछूती नहीं है। योजना में राशि का आवंटन ही नहीं हो रहा है। कई बार भोपाल में संंबंधितों से आग्रह किया जा चुका है, किन्तु राशि नहीं भेजी जा रही है। लोग मेरे पास नगर पालिका में अपनी समस्या लेकर आते है, जिन्हे हाथ जोडक़र समझाना पड़ता है कि मेरे हाथ में कुछ नहीं है। पुराने हितग्राहियों की दूसरी किश्त नहीं आ रही है और नए हितग्राहियों का सर्वे नहीं हो रहा है।

राजेन्द्र सलूजा

नपाध्यक्ष गुना।

Updated : 13 Feb 2019 4:57 PM GMT
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Naveen Savita

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