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ग्राउंड ब्रेकिंग सेरमनी - भ्रष्टाचारयुक्त माफिया प्रदेश से भ्रष्टाचारमुक्त विकास प्रदेश के बदलाव की कहानी

शलभ मणि त्रिपाठी

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरमनी - भ्रष्टाचारयुक्त माफिया प्रदेश से भ्रष्टाचारमुक्त विकास प्रदेश के बदलाव की कहानी
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लखनऊ। बात 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के लोगों को डबल इंजन की सरकार का मतलब बताते हुए उत्तर प्रदेश के भ्रष्टाचार और माफियाराज का हवाला दे रहे थे और यूपी के विकास के लिए जनादेश मांग रहे थे। उस वक्त तमाम लोगों को ये महज एक चुनावी भाषण लगा था। पर उत्तर प्रदेश से आए जनादेश के बाद महज पिछले सवा दो सालों में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश में जिस अंदाज में काम हुआ है, उससे चुनावी भाषण का भ्रम टूटने लगा है। लोगों को ये भी समझ आने लगा है कि दरअसल डबल इंजन की सरकार का मायने क्या होता है। सूबे की राजधानी लखनऊ में हुई ग्राउंड ब्रेकिंग 2 सेरेमनी इस बात का सबसे बेहतर उदाहरण है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब देश का ये सबसे बड़ा सूबा कभी मुख्तार अंसारी – अतीक अहमद जैसे माफियाओं की करतूतों तो कभी खनन और एनआरएचएम घोटाले जैसे घपलों के चलते अखबारों और टेलीविजन की सुर्खियों में रहता था। पर योगी आदित्यनाथ की सरकार में ये यूपी की ये पहचान तेजी से बदली है। आए दिन खूंखार अपराधियों के मारे जाने, उनके खुद जेल जाने और भ्रष्टाचारी अधिकारियों – कर्मचारियों की बर्खास्तगी, गिरफ्तारी की खबरें अब आम हो चुकी हैं। जिस प्रदेश में पिछले 15 सालों के दौरान अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को भरपूर राजनीतिक संरक्षण मिला हो, वहां ऐसी खबरें ना सिर्फ चौंकाने वाली बल्कि सकून देने वाली भी हैं।

पिछले 15 सालों के दौरान उत्तर प्रदेश में आईं सरकारों के कामकाज का ही नतीजा था कि जब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहली ग्राउंड ब्रेकिंग सेरमनी के बाद प्रदेश में 60 हजार करोड़ के निवेश का आंकड़ा पेश किया था जब तमाम सियासी दलों ने इसका मजाक उड़ाते हुए दावा किया कि ये आंकड़े महज कागजों पर ही लिखे और मिटाए जाएंगे। उस वक्त कुछ लोगों को ये बात सच भी लगी थी, क्योंकि पूर्ववर्ती मायावती और अखिलेश यादव सरकार में ऐसा ही हुआ था। अखिलेश सरकार में मुंबई में हुई इन्वेस्टर सम्मिट के 40 हजार करोड़ के निवेश का दावा किया गया था। पर ये निवेश किसी को नजर नहीं आया। ये परंपरा बन चुकी थी कि इन्वेस्टर सम्मिट के नाम पर बड़े- बड़े आयोजन तो होंगे पर निवेश महज कागजों पर ही होगा। ऐसे में सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार पर विरोधियों को गलत साबित करने और लोगों की आम राय बदलने की बड़ी चुनौती थी। योगी इसमें कामयाब भी हुए।

योगी आदित्यनाथ सरकार की अगुवाई में सूबे की राजधानी लखनऊ में रविवार को हुए शानदार समारोह में मेदांता समूह के चेयरमैन डा नरेश त्रेहान, अडानी समूह के अगुवा गौतम अडानी, लूलू ग्रुप के प्रमुख युसूफ अली और पेप्सिको के सीईओ अहमद अल शेख समेत तमाम उद्योगपतियों और निवेशकों ने जब उत्तर प्रदेश में तेजी से काम कर रही अपनी- अपनी परियोजनाओं की जानकारी दी तब निवेश को लेकर तमाम सवालों पर ना सिर्फ विराम लग गया बल्कि ये साफ भी हो गया कि उत्तर प्रदेश विकास की नई इबारत लिखने की राह पर जा खड़ा हुआ है।

यूपी के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब निजी क्षेत्रों से 125 करोड़ का और सार्वजनिक क्षेत्रों से भी करीब 125 करोड़ का निवेश प्रदेश में आया है। रोजगार के साथ ही साथ प्रदेश के विकास में ये मील का पत्थर साबित होगा। समारोह में आए उद्मियों ने खुल कर योगी सरकार की तारीफ की। ये खुलास़ा भी किया कि आज अगर निवेश हो रहा है तो इसके पीछे प्रदेश की बेहतर हुई कानून व्यवस्था भ्रष्टाचार मुक्त हुई व्यवस्था ही सबसे बड़ी वजह है। ये इस समारोह की सफलता का पैमाना ही था कि प्रदेश सरकार के काम से गदगद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत सरकार के मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री योगी की तारीफ करते हुए इस बात का खुलासा भी किया कि मुख्यमंत्री के तौर पर जब योगी आदित्यनाथ का चयन हुआ था तब तमाम लोग चौंके थे, ये सवाल भी उठाया था कि वे सन्यासी हैं, उनका प्रशासनिक अनुभव ना के बराबर है और उन्होंने कभी नगरपालिका तक नहीं चलाई है। ऐसे में वे भला देश का सबसे बड़ा सूबा कैसे चलाएंगे। पर आज योगी इन तमाम शंकाओं और सवालों को गलत साबित कर रहे हैं। अपनी कर्मठता और लगन से वे ना सिर्फ प्रदेश को विकास की राह पर ले जा रहे हैं बल्कि अपने कठोर फैसलों से यह भी साबित कर रहे हैं कि प्रदेश के आम आदमी की परवाह ही उनकी पहली और आखिरी प्राथमिकता है और वे उससे कतई कोई समझौता नहीं करने वाले।

Updated : 29 July 2019 2:45 AM GMT
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