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चंबल अंचल की आवाज अब होगी संसद में बुलंद

चंबल की माटी से जुड़े 17वी लोकसभा में चुने गए छह सांसद

चंबल अंचल की आवाज अब होगी संसद में बुलंद
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भिण्ड/अनिल शर्मा। विकास की वाट जोहता चंबल अंचल की आवाज अब निश्चित रूप से 17वी लोकसभा में बुलंद होगी। चंबल की माटी ने एक नहीं, दो नहीं, वल्कि छह सांसद इस बार दिए हैं। जो चुने गए हैं, वह मामूली नहीं, वल्कि अनुभवी, परिपक्व राजनेता हैं। निश्चित रूप से एक लंबे अंतराल से प्रगति से दूर चंबल अंचल का विकास अब मुख्य धुरी से जुड़ गया है। विकास कितना होगा, यह अभी कहना मुश्किल है, लेकिन चंबल की माटी का देश की सत्रहवी लोकसभा में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में बहुत बड़ा योगदान है।

चंबल अंचल से ताल्लुक रखने वाले एक नहीं, वल्कि छह सांसद चुने गए हैं, वह भी राष्ट्रवाद की धारा में चलने वाले उस राजनैतिक दल भाजपा के हैं, जिसकी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है, चुने गए सांसदों की राजनैतिक हैसियत का कद भी काफी ऊंचा है, जिसमें एक तो केन्द्र सरकार में मंत्री भी हैं। चाहे कोई चंबल को डकैतों की शरण स्थली बताए या नकलची कहे, पर सही मायने में चंबल की पहिचान यहां के पानी की तासीर व उर्वरा शक्ति वाली माटी से है, जिसने वीर सपूतों को जन्म देने के साथ हर क्षेत्र को नगीने पैदा करके दिए हैं, चाहे वह सेना, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल, शिक्षा, प्रशासनिक या अन्य कोई भी क्षेत्र हो, यहां की माटी में पले बड़े हुए लोगों को यदि मौका मिला है तो उत्कृष्ट प्रदर्शन में अग्रणी रहने में कभी पीछे नहीं रहे हैं।

यदि राजनीतिक क्षेत्र की बात करें तो इस अंचल से जुड़ा ऐसा राजनैतिक व्यक्तित्व पं. अटल विहारी बाजपई के रूप में देश को मिला जो न केवल देश के सर्वोत्कृष्ट प्रधानमंत्री रहे, बल्कि उनकी विपक्ष की भूमिका को आज भी सराहा जाता है। और भी राजनैतिक हस्तियों का जिक्र किया जा सकता है, लेकिन वर्तमान पर नजर डालें तो मुरैना से तीसरी बार सांसद चुने गए नरेन्द्र सिंह तोमर अब प्रदेश के नहीं वल्कि देश के उच्च श्रेणी के नेताओं की गिनती में अव्वल स्थान पर हैं। वे चंबल के ऐसे नेता हैं जो पहलीबार में ही सीधे केबिनेट में मंत्री बने, यह गौरव शायद ही किसी भी प्रदेश के नेता को मिला हो, यदि बारीकी से गौर करें तो एनडीए की सत्रहवी लोकसभा के लिए संसदीय दल के नेता का चुनाव व प्रधानमंत्री के चयन के संचालन की कमान सम्हालना अपने आप में राजनैतिक पंडितों के लिए बहुत बड़ा संकेत है।

चंबल की माटी से जुड़े दूसरे सांसद बीडी शर्मा हैं जो खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से चुने गए हैं, उनकी जीत पौने पांच लाख के लगभग मतों से हुई है। जो रिकार्ड जीत है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिसद में पूर्णकालिक रहकर राजनीति में प्रवेश करने वाले बीडी शर्मा संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं, वे गृह क्षेत्र से हटकर अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़े और एतिहासिक जीत का रिकार्ड बनाया, संगठन में विभिन्न पदों के अलावा नेहरू युवा केन्द्र संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

तीसरी सांसद भिण्ड-दतिया संसदीय क्षेत्र से संध्या राय चुनी गई हैं, जो राजनीति में परिपक्व, पढ़ी लिखी महिला नेत्री हैं, कृषि उपज मण्डी के अध्यक्ष के रूप में राजनीति की शुरुआत कर एक बार विधायक रहीं और संगठन में विभिन्न पदों पर रहने के अलावा राज्य महिला आयोग की सदस्य भी रही हैं। भिण्ड-दतिया लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अपार स्नेह देकर उनको स्वतंत्रता के बाद अब तक चुने गए सांसदों में सबसे बड़ी जीत के रिकार्ड से नवाजा है।

चंबल अंचल के लहार में पैदा हुईं और छात्र जीवन में ही विद्यार्थी परिषद से जुड़कर अपनी सक्रियता से अच्छे छात्र नेता के रूप में पहिचान बनाने वाली प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से सांसद चुनी गई हैं, उनका चुनाव परिणाम पर पूरे देश की निगाहे टिकी थी, सहष्णु भाव रखने वाली हिन्दू सनातन परंपरा को हिन्दू आतंकवाद का नाम देने की विचार धारा के खिलाफ था यहां का चुनाव पर देश की मीडिया की निगाहें भी टिकी थीं, क्योकि मुकाबला राजनीति के ऐसे धुरंधर कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले एक दशक तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह से था। उनको पटंगी देकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अच्छे मतों से सांसद चुनी गई हैं। इसलिए निश्चित रूप से राजनैतिक कद उनका भी छोटा नहीं है।

चंबल अंचल से तालुक्क रखने वाले पांचवे सांसद सत्यदेव पचौरी हैं, जो मूलत: भिण्ड जिले के मिहोना कस्बे के रहने वाले प्यारेलाल पचौरी के छोटे बेटे हैं। पचौरी के बड़े भाई कानपुर मे पंडिताई करते थे, जब सत्यदेव ने मिहोना में हायर सेकेण्ड्री परीक्षा उतीर्ण कर ली तो वे भी उच्च शिक्षा पाने के लिए अपने भाई के पास कानपुर पहुंच गए, जहां व्हीएसएसडी कॉलेज से केमिस्ट्री से एमएससी कर उच्च शिक्षा पूरी की, लेकिन विज्ञान समूह के छात्र होने के बावजूद छात्र राजनीति में सक्रिय रहे और छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए, उनके बड़े भाई जनसंघ से जुडऩे के साथ अटल जी के संपर्क में थे। पचौरी 1991-93 में पहलीबार विधायक चुने गए। उसके बाद गोविन्द नगर से विधायक चुनने के साथ उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। वर्तमान लोकसभा चुनाव में मुरली मनोहर जोशी के स्थान पर पार्टी ने कानपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा और वे सांसद चुने गए हैं। उनके कद का आकलन स्वत: ही लगाया जा सकता है।

छटवे सांसद उज्जैन से चुने गए अनिल फिरोजिया हैं जो 1977 में भिण्ड जिले की गोहद विधानसभा से विधायक चुने गए भूरेलाल के पुत्र हैं। बताते हैं कि वह सिंधिया परिवार से जुड़े रहे हैं। 1977 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भूरेलाल को उज्जेन से बुलाकर गोहद से टिकिट दिया और वे चुनाव जीत गए, मिहोना के बुजुर्ग बताते हैं कि भूरेलाल मूलत: भिण्ड जिले के मिहोना के नजदीक बोनापुरा के निवासी हैं। उनके पुरखे व्यवसाय की दृष्टि से काफी समय पहले निकल गए थे, वैसे तो फिरोजिया को राजनीति पिता की विरासत में मिली है, लेकिन वे स्वयं भी लगातार सक्रिय राजनीति में रहे हैं। युवामोर्चा में जिला अध्यक्ष, उज्जैन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व तराना से विधायक रह चुके हैं। तीन माह पहले विधानसभा चुनाव हारे पर लोकसभा चुनाव में रिकार्ड जीत दर्ज कराई है। वह तीन लाख 65 हजार 637 मतों से चुनाव जीते हैं। ज्ञातव्य रहे कि इस लोकसभा सीट से सात बार सत्यनारायन जटीय सांसद चुने जा चुके हैं जो केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। निश्चित रूप से फिरोजिया भी महत्वपूर्ण सीट से संसद में पहुंचे हैं।

Updated : 28 May 2019 2:04 AM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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