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रिश्तों में घोलें मिठास.....परिवार के साथ बिठाएं सामंजस्य और पाएं सबका प्यार

रिश्तों में घोलें मिठास.....परिवार के साथ बिठाएं सामंजस्य और पाएं सबका प्यार
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परिवार में सुख और शांति बनाये रखना एक चुनौतीपूर्ण काम है। वैसे तो घर के सभी सदस्यों को की यह सामूहिक जिम्मेदारी होती कि वे एक दूसरे को समझे और परिवार के बीच सामंजस्य बैठा कर चलें। लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों की अपेक्षा घर की महिलाओं पर परिवार की जिम्मेदारी अधिक होती है। घर के बांकी सदस्यो को भी परिवार में अपनी भूमिका समझते हुए एक दूसरे के प्रति समर्पित रहना चाहिए। ताकि गृहलक्ष्मी को भी कुछ राहत मिले और वह भी तनाव मुक्त जीवन जी सकें। यदि परिवार में सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें, तो तभी परिवार में सुख और समृद्धि बनी हमेशा रहेगी।

एक-दूसरे को समझें:

परिवार एकल हो या संयुक्त एक-दूसरे को समझना आना चाहिए। परिवार के साथ सुखमय जीवन जीने के लिए सबसे आवश्यक होता है एक-दूसरे को समझना। यदि परिवार के सभी लोग एक-दूसरे को समझेेंगे और एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करेंगे तो परिवार के सदस्यो के बीच तनाव भी कम होगा और आपसी प्रेम भी बढ़ेगा।

काम को बांटें:

बदलती जीवन शैली के कारण अधिकतर परिवार एकल हंै। ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारी घर की महिला पर आ जाती है। घर की जिम्मेदारी और उन्हें निभाते हुए सभी की जरूरतों का ध्यान रखना बहुत मुश्किल होता है। जिस काम में आप परिवार के दूसरे सदस्यों की मदद लें सकते हैं जरूर लें। ऐसा करने से आप परिवार के सदस्यों के साथ समय भी बिता सकेंगे।

साकारात्मक व्यवहार:

परिवार के सदस्यों से आप जैसा व्यवहार अपने साथ चाहते हैं, वैसा ही व्यवहार अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही करें। अगर आपके घर का कोई सदस्य या कोई अन्य जन ने आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, तो उन पर चिल्लायें नहीं, उन्हें अपनी गलती सुधारने का एक और मौका दें। उनके साथ हमेशा प्यार से बात करें। आपका नम्र व्यवहार ही उन्हें बदल सकता है।

व्यस्त जीवनशैली

भागदौड़ भरी जीवनशैली में शायद ही किसी के पास स्वयं के लिए समय हो। खासतौर पर महिलाएं। महिलाएं परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतों का ध्यान रखती हंैं लेकिन स्वयं के लिए समय नहीं निकाल पाती। बच्चों के सुबह के टिफिन से लेेकर रात के खाने तक का समय सिर्फ घर के बारे में ही सोचते हुए निकलता है। इस कारण चिड़चिड़ा होना और गुस्सा करना स्वाभाविक है।

धैर्य से काम लें:

घर में काम की अधिकता होने होने से गुस्सा आना स्वाभाविक है। घर के कामों से समय निकालने की कोशिश करें। काम की अधिकता होने पर धैर्य से काम लें। यह तभी हो सकता है जब आप घर के सदस्यों के साथ सामंजस्य बना कर चलें। यदि आप घर के सदस्यों के साथ सामंजस्य बनाकर चलते हैं तो परिवार के सदस्य न सिर्फ आपको समझेंगे बल्कि आपका साथ भी देेेंगे।

चीखना-चिल्लाना उपाय नहीं:

किसी भी बात को लेकर चीखना चिल्लाना समस्या का हल नहीं है। बेवजह चीखना चिल्लाना स्वभाव से कठोर बनाता है। कुछ समय बाद बात-बात पर गुस्सा करना स्वभाव में शामिल होने लगता है परिणामस्वरूप छोटी-छोटी बातों में सरलता न होकर चीखने चिल्लाने का सहारा लेते हंै। यहां तक कि बच्चों को पढ़ाई के लिए बोलते समय भी गुस्से का ही सहारा लेते हैं। इसलिए बेहतर है कि आप किसी भी बात को चीखने चिल्लाने की जगह प्रेम से अपनी बात रखें। हर समय चीखने चिल्लाने से घर के दूसरे सदस्य भी आपके इस व्यवहार को पसंद नहीं करते हैं और आपकी बात को महत्व कम देते हंै।

अपनाएं यह उपाए

* जो काम आप रात में कर सकती हंै, वह रात में ही करके रख दें। ऐसा करने से आपका बहुत समय भी बच जाएगा और आपके सारे काम समय से भी होंगे।

* अंदर ही अंदर घुलने से अच्छा है कि आप अपनी समस्या अपने परिवार के सामने रखें, यदि आप शांति से उन्हें अपनी समस्याएं समझाएंगी तो निश्चित ही वह आपकी समस्या समझेंगे बल्कि आपका साथ भी देंगे।




Updated : 19 Jan 2019 4:35 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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