Home > एक्सक्लूसिव > मात्र एक घंटा काला पानी में बिता लें तो पता लग जाएगा वीर सावरकर का पुरुषार्थ

मात्र एक घंटा काला पानी में बिता लें तो पता लग जाएगा वीर सावरकर का पुरुषार्थ

मात्र एक घंटा काला पानी में बिता लें तो पता लग जाएगा वीर सावरकर का पुरुषार्थ
X

-कांग्रेस सेवा दल की कथित पुस्तक- वीर सावरकर कितने 'वीरÓ? पर शहर में तीखी प्रतिक्रिया

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। वीर एवं महान क्रांतिकारी वीर सावरकर जी के बारे में कांग्रेस सेवा दल द्वारा प्रकाशित कर बंटवाई जा रही पुस्तक वीर सावरकर कितने 'वीरÓ को लेकर शहर के बुद्धिजीवी, शिक्षाविद, साहित्यकार एवं समाजसेवी संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया है। पुस्तक में जिस तरह से सावरकर जी को डरपोक और अंग्रेजों से क्षमा याचना करने के अलावा नाथूराम गोडसे के साथ कथित संबंधों को लिखा गया है, उसे लेकर भी इन लोगों द्वारा कांग्रेस को कुत्सित संकीर्ण मानसिकता का परिचायक बताया है। स्वदेश ने इस सिलसिले में कुछ लोगों से चर्चा की है।

क्या कहते हैं विद्वान

देश भक्तों पर प्रश्न चिन्ह लगाना राष्ट्रीय अस्मिता से खिलवाड़

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रो. के. रत्नम का कहना है कि महान स्वतंत्रता सेनानियों और देश भक्तों पर प्रश्न चिन्ह लगाना राष्ट्रीय अस्मिता के साथ खिलवाड़ करना है। वीर विनायक दामोदर सावरकर एक सच्चे राष्ट्र भक्त थे, यह तथ्य अनेकों शोध में प्रमाणित हो चुका है। भारत की तत्कालीन मा प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 20 मई, 1980 को सावरकर की जन्म शताब्दी के आयोजन की सफलता की कामना के साथ लिखती हैं कि वीर सावरकर राष्ट्रीय आंदोलन की गाथा के महानायक और भारत के महान सपूत है। विचारक एवं इतिहासकार विक्रम सम्पत की पुस्तक 'सावरकर - इकूज फ्रॉम ए गोर्गोटें पास्टÓ में वीर सावरकर के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान रेखांकित करते हुए कहते कि सावरकर की माफी के प्रति सकाात्मक नरेटिव सेट कियागया। प्रो. राघवेन्द्र तनवर सदस्य आईसीएचआरआर, नई दिल्ली भी अपने आलेखों में कहते हैं कि सावरकर एक विरिस्टर थे और वह ब्रिटिश न्यायिक प्रक्रिया को जानते थे कि किस प्रकार भारत माता के सेवा के लिए जेल से निकले सकते है, उसी की अनुरुप उनका राष्ट्रीयता से परिपूर्ण निर्णय था।

गिरी हुई राजनीति कर रहे पाश्चात्यी लोग

श्री अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास के अध्यक्ष हरिदास अग्रवाल का कहना है कि वीर सावरकर का इतिहास जिसने भी पढ़ा है, वह उन्हें अपना आदर्श पुरुष मानता हैं, किंतु संस्कार विहीन पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित लोगों को उनका यह कद पसंद नहीं आ रहा। इसीलिए गिरी हुई राजनीति कर उनके पुरुषार्थ को चुनौती दे रहे हैं। यदि ऐसे लोग एक घंटे भी अंडमान निकोबार की जेल में जाकर बिता लें तो उन्हें पता लग जाएगा कि सावरकरजी में कितना पुरुषार्थ था। क्योंकि काला पानी की जेल से लोगों की रूह तक कांप जाती है, उसी जेल में सावरकर जी ने कई वर्ष याचता के सहे थे। उन्हीं की दूरदृष्टि के परिणाम स्वरूप नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया था, जिससे देश को आजादी मिली।

कांग्रेस की घृणित मानसिकता को दर्शाता है

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व प्रांताध्यक्ष एवं छतरपुर विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य डॉ. नितेश शर्मा का कहना है कि कांग्रेस का यह इतिहास रहा है कि वह राष्ट्रभक्तक्रांतिकारियों के योगदान को हमेशा नकारती रही है। सावरकर जी जैसे प्रात: स्मरणीय देशभक्त महापुरुष के लिए तथाकथित किताब में जिस तरह का वर्णन किया गया है, वह उनकी घृणित मानसिकता को दर्शाता है। वह पूज्य थे, पूज्य हैं और पूज्य रहेंगे। युवा राष्ट्र निर्माण के लिए उनके चरित्र को आगे रखकर अपनी भूमिका तय करते हैं। ऐसे व्यक्तित्व को बारंबार सलाम है।

अनर्गल टिप्पणी बर्दास्त नहीं

साहित्यकार प्रो. उर्मिला सिंह तोमर ने वीर सावरकर को देश का महापुरुष और स्वतंत्रता संग्राम का महान सेनानी बताते हुए कहा कि उनके बारे में किसी भी तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं है। जो लोग ऐसी टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हें अच्छे से इतिहास को जान लेना चाहिए। क्योंकि सावरकर जी को किसी दल, जाति, वर्ग अथवा समुदाय से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। उनका व्यक्तित्व इन सभी से ऊपर बढ़कर रहा है।

फर्जी लेखक अपने मानसिक दिवालियापन को उजागर करते हैं

माधव महाविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज अवस्थी का कहना है कि सावरकर जी को लेकर जो पुस्तक अभी हाल ही में चर्चा में आयी है, वह केवल पूर्वाग्रहों का पुलंदा दिखती है। ऐसे फर्जी लेखक अपने मानसिक दिवालियापन को ही उजागर करते हैं । राष्ट्र नायकों को लांछित करना कोई बहादुरी का काम नहीं। बाजार में इस तरह की तमाम बेजा किताबें बहुतायत में फुटपाथों बिकती रहती हैं, जो इतिहास में अपना कोई स्थान नहीं रखतीं। गांधी, नेहरू और अन्य नेताओं पर भी ऐसी पूर्वाग्रही किताबें पहले छपती रही हैं, यदि इसी तरह सभी प्रकाशित बेजा साहित्य को सत्य मानते रहे तो हर व्यक्ति अपने चश्में से इतिहास लिखेगा। लम्बे समय तक विरोधी विचारधारा के लोग जब शासन में रहते हैं तो कई सत्य घटनाओं को बार बार झूठ बोल बोल कर सत्य सिद्ध करने का प्रयास किया किया जाता है और यह कोई नई बात नहीं।

पुस्तक में यह हैं विवादित

-ब्रह्मचर्य धारण करने से पहले नाथूराम गोडसे के अपने राजनीतिक गुरु वीर सावरकर से समलैंगिक संबंध थे।

-गाय और कुछ नहीं बल्कि राष्ट्र का केवल दुग्ध-बिन्दु है, इसे हिन्दू राष्ट्र का मान-बिन्दु नहीं समझना चाहिए।

-शत्रु की महिला को अगवा कर और बलात्कार करने को अधर्म कहते हो? ये तो परोधर्म है, महानतम कर्तव्य।

-चार हत्याओं का चला केस।

-नौ बार अंग्रेजों से की क्षमा याचना, जेल से बाहर आकर अंग्रेजों का विरोध नहीं किया।

-इसके अलावा अन्य बहुत कुछ विवादित तथ्य भी इस पुस्तक में हैं।


Updated : 6 Jan 2020 1:00 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top