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राष्ट्रपति के अभिभाषण में दिखा नये भारत का विजन

राष्ट्रपति के अभिभाषण में दिखा नये भारत का विजन
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नया भारत कैसा होगा, इसे लेकर सबके मन में ऊहापोह है। नये भारत की कल्पना को अपने मानस के कैनवास पर उतारना और उसे मूर्त रूप देना बेहद कठिन भी है और कष्टसाध्य भी। बीज अचानक पेड़ नहीं हो जाता। पहले उसे जमीन में दबकर सड़ना-गलना होता है। अपना अस्तित्व मिटाना होता है। अंकुर रूप में प्रकट होना पड़ता है। जो खुद को मिटा देने का जुनून रखते हैं, वही देश को आगे ले जाने में समर्थ होते हैं। बड़ा से बड़ा घाव या नासूर पहले फुंसी के रूप में ही प्रकट होता है। अगर उसका तत्काल उपचार हो तो वह भयावह रूप ले ही नहीं सकता। इस सरकार ने इस तथ्य को समझा है। भारतीय ऋषियों ने भी माना है कि जड़ को पकड़ोगे तो पेड़ पकड़ में आ जाएगा। समस्या का निदान जड़ से ही संभव है। मोदी सरकार समस्या का निदान जड़ से करना चाहती है। वह ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की ओर जाना चाहती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र में जो कुछ भी कहा है, अगर उसे भारतीय विकास का ऋषि सूत्र कहा जाए तो कुछ भी गलत नहीं होगा। उन्होंने साफ कर दिया है कि मोदी सरकार किस तरह विकास परियोजनाओं को गतिशीलता प्रदान करेगी। आतंकवाद से कैसे निपटेगी? पूरी दुनिया को अपने साथ लेकर कैसे चलेगी? आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने का ही परिणाम है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया है। यह भारत की वैदेशिक कूटनीति की मजबूती भी है और उसकी जीत भी।

राष्ट्रपति ने सुस्पष्ट कर दिया है कि उनकी सरकार 'सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास' के सूत्र पर काम कर रही है। वह पहले दिन से ही समाज के आखिरी व्यक्ति के विकास के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित है। उन्होंने यह कहने में भी गुरेज नहीं किया कि इस लोकसभा में 50 फीसद नये सांसद हैं। पहली बार सांसद बने हैं। 78 महिलाओं ने भी लोकसभा चुनाव जीता है। यह नये भारत की तस्वीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों से हमेशा कहते रहे हैं कि वे उनके प्यार को ब्याज समेत उनके विकास स्वरूप में लौटाएंगे। राष्ट्रपति के अभिभाषण में वही बात कुछ इन शब्दों में प्रतिध्वनित हुई है। देशवासियों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी करते हुए, अब सरकार उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप एक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और सर्वसमावेशी भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। नए भारत की इस परिकल्पना की अभिव्यक्ति के लिए राष्ट्रपति ने अगर केरल के महान कवि श्री नारायण गुरु के विचारों का उल्लेख किया है तो इसके पीछे दक्षिण भारत में अपनी पैठ मजबूत करने का सरकार का सपना भी एक वजह है। रवींद्र नाथ टैगोर की कविता ' चित्तो जेथा भय-शून्नो, उच्चो जेथा शिर' के जरिये राष्ट्रपति ने पूरब और दक्षिण की राजनीति में भाजपा के पदचापों की प्रच्छन्न अभिव्यक्ति भी की है। समझने वाले को इशारा काफी है। किसान सम्मान निधि और व्यापारी पेंशन योजना का जिक्र कर उन्होंने सरकार का मंतव्य लगभग जाहिर कर दिया है। इसका मतलब है कि सरकार जिस त्वरा के साथ शहरों का विकास करेगी, स्मार्ट सिटी के निर्माण को अंजाम देगी, उसी त्वरा के साथ वह गांवों और किसानों को भी समृद्ध और खुशहाल बनाएगी। मोदी सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का जो निर्णय लिया है, उसे पूरा करने की दिशा में वह निरंतर आगे बढ़ रही है। राष्ट्रपति ने कहा है कि नया भारत, गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर के आदर्श भारत के उस स्वरूप की ओर आगे बढ़ेगा जहां लोगों का चित्त भयमुक्त हो और आत्म-सम्मान से उनका मस्तक ऊंचा रहे। किसानों की चिंता, उसकी सम्मान-राशि की पहुंच के विस्तार की बात कहकर उन्होंने देश के करोड़ों किसानों के दिल पर राज करने की रणनीति का भी संकेत दे दिया है। 3 करोड़ छोटे दुकानदारों को पेंशन देने, नेशनल डिफेंस फंड से वीर जवानों के बच्चों को मिलने वाली स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाने और इसमें पहली बार राज्य पुलिस के जवानों के बेटे-बेटियों को भी शामिल करने की बात कर उन्होंने केंद्र सरकार के विजन पर रोशनी डाली है। यही नहीं, उन्होंने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव तथा भावी जलसंकट पर भी सरकार की चिंता से देश को अवगत कराया है। देशवासियों से उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान की तरह ही जल संरक्षण एवं प्रबंधन में भी गंभीरता दिखाने की अपेक्षा की है। नए जलशक्ति मंत्रालय के गठन और उसके दूरगामी लाभों का जिक्र कर उन्होंने यह बताने और जताने की कोशिश की है कि सरकार समस्याओं को बेहदर गंभीरता से ले रही है।

ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि गांव और किसान को, खेतिहर मजदूर को मजबूती दी जाए, इस निमित्त सरकार कृषि क्षेत्र की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आने वाले वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपये का और निवेश करने जा रही है। देश में हर बहन-बेटियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करने हेतु तीन तलाक और निकाह-हलाला जैसी कुप्रथाओं के उन्मूलन पर भी उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की है। 'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' के तहत, स्वरोजगार के लिए लगभग 19 करोड़ ऋण देने और इस योजना का विस्तार करते हुए अब 30 करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुंचाने का उनका दावा यह बताता है कि विकास को लेकर सरकार अत्यंत सतर्क है। उनका मानना है कि जीएसटी लागू होने से 'एक देश, एक टैक्स, एक बाजार' की सोच साकार हुई है। जीएसटी के और सरलीकरण का तो उन्होंने दावा किया ही, कालेधन के खिलाफ मुहिम को और तेज करने पर भी जोर दिया। उन्होंने दावा किया कि गत 2 वर्षों में 4 लाख 25 हजार निदेशकों को अयोग्य घोषित किया गया है जबकि 3 लाख 50 हजार संदिग्ध कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है। यह बताता है कि सरकार देश की भावनाओं के साथ खेलने वालों के साथ किसी भी तरह की उदारता नहीं बरतने जा रही है। इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के अमल में आने के बाद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों की साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का निपटारा हुआ है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की वजह से अब तक 1 लाख 41 हजार करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचे हैं। लगभग 8 करोड़ गलत लाभार्थियों के नाम हटा दिए गए हैं। 2022 तक लगभग 35 हजार किलोमीटर नेशनल हाईवे का निर्माण या अपग्रेडेशन होना है। समुद्र तटीय क्षेत्रों में और बंदरगाहों के आसपास, बेहतर सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। चंद्रयान-2 के लॉन्च की तैयारी है। चंद्रमा पर पहुंचने वाला यह भारत का पहला अंतरिक्ष यान होगा। 2022 तक भारत के स्वनिर्मित गगन-यान में पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने के भी प्रयास हो रहे हैं। राष्ट्रपति का अभिभाषण दरअसल सरकार का अपना नजरिया होता है। यह एक तरह का विषय प्रवर्तन होता है जिस पर सम्मानित सांसद अपनी राय जाहिर कर सकते हैं। इसका मतलब सरकार ने अपना पक्ष रख दिया है। देश अब इसी रोडमैप पर विकास की अपनी मंजिल तय करेगा।

(लेखक: सियाराम पांडेय 'शांत')

Updated : 27 Jun 2019 2:13 PM GMT
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