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मोदी का मास्टर स्ट्रोक : खरीफ की 14 फसलों का एमएसपी बढ़ाया

किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी कर दी है।

मोदी का मास्टर स्ट्रोक : खरीफ की 14 फसलों का एमएसपी बढ़ाया
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तरकश में कई ऐसे तीर हैं, पता नहीं वे कब किसका कैसे इस्तेमाल कर दें, कोई नहीं जानता। उनका छोड़ा हुआ तीर लक्ष्य भेदी होता है। बुधवार को उन्होंने खरीफ की 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी करवाकर सबको चौंका दिया। किसानों को बड़ी सौगात के तौर पर उनका यह फैसला मास्टर स्ट्रेाक माना जा रहा है। बुधवार को दिनभर चले घटनाक्रम में कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक भी थी जिसमें किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी कर दी है। केंद्र ने धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए का इजाफा कर दिया है। बीते दस सालों में यह बढ़ोत्तरी सर्वाधिक है। इस फैसले के साथ ही मोदी ने यह साबित कर दिया है कि वे मन की बात में लगातार किसानों का जिक्र क्यों किया करते थे? 14 फसलों का एमएसपी बढऩे से सीधे तौर पर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई प्रदेशों में सीधा असर दिखेगा, इन राज्यों में किसानों की संख्या अधिक है। हालांकि खरीफ की कई फसलों का भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में अंतर बढ़कर 18 फीसदी हो गया है, जो आमतौर पर 2 से 5 फीसदी होता है। वैश्विक जगत में खरीफ की फसलों की कीमत वर्तमान स्तर से नीचे गिरने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो खरीफ फसलों की निर्यात प्रतिस्पद्र्धा क्षमता को लेकर कई गंभीर सवाल उठना लाजिमी है।

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी कई बार सार्वजनिक मंच से कहते आ रहे थे कि उनकी सरकार किसानों को अब खरीफ की फसल का डेढ़ गुना एमएसपी बढ़ाएगी। बुधवार के इस फैसले के बाद अब किसानों को धान की फसल पर एमएसपी 1750 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा। पिछले साल यह 1550 रुपए थी। बाजरे की लागत पहले 990 रुपए होती थी। लेकिन इसे अब 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इस फैसले को आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार का यह मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। इससे पहले किसानों को धान के लिए 1550 रुपए मिलते थे, लेकिन अब इसी के लिए उन्हें 1750 रुपए दिए जाएंगे। देश के तकरीबन 12 करोड़ किसानों को इससे सीधा लाभ पहुंचेगा।

दिल्ली की एक अंतर्राष्ट्रीय ट्रेडिंग कंपनी के एक प्रतिनिधि का कहना है कि अगर भारतीय कपास निगम (सीसीआई) किसानों को राहत देने के लिए नए एमएसपी पर अपनी खरीद बढ़ाता है तो घरेलू बाजार पर बुरा असर पड़ सकता है। चावल के मामले में भी कमोवेश यही स्थिति है। खाद्य नीति विशेषज्ञ तेजेंदर नारंग ने इस मसले पर कहा है कि एमएसपी में बढ़ोतरी से भारत के गैर बासमती चावल की प्रतिस्पद्र्धी क्षमता लघु अवधि में प्रभावित नहीं होगी। विशेष रूप से पश्चिम एशिया को निर्यात होने वाले चावल की। लेकिन अफ्रीकी देशें को होने वाले निर्यात पर असर पड़ सकता है। उनका कहना है कि एमएसपी की बढ़ातरी से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा लेकिन अगर सरकार ने अपनी सालाना खरीद में भारी बढ़ातरी नहीं की तो निर्यातकों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

निर्यातकों पर असर तभी होगा, जब सरकार अपनी सालाना खरीद 3.3-3.4 करोड़ टन से बढ़ाकर करीब 4.5 करोड़ टन करती है। उम्मीद है मोदी सरकार इन असमान्य स्थितियों से निपट कर आर्थिकी को पटरी पर ले आएगी।

Updated : 5 July 2018 12:41 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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