Home > एक्सक्लूसिव > कृष्ण की शौर्य गाथाओं की याद दिलाती "जन्माष्टमी"

कृष्ण की शौर्य गाथाओं की याद दिलाती "जन्माष्टमी"

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, 24 अगस्त पर विशेष

कृष्ण की शौर्य गाथाओं की याद दिलाती जन्माष्टमी
X

- योगेश कुमार गोयल

जन्माष्टमी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्ण अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। जन्माष्टमी का भारतीय संस्कृति में इतना महत्व क्यों है? यह जानने के लिए कृष्ण के जीवन दर्शन और उनकी अलौकिक लीलाओं को समझना जरूरी है। द्वापर युग के अंत में मथुरा में अग्रसेन नामक राजा का शासन था। उनका पुत्र था कंस। उसने बलपूर्वक अपने पिता से सिंहासन छीन लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव के साथ हुआ।

बताते हैं कि एक दिन जब कंस देवकी को उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई। 'हे कंस! जिस देवकी को तू इतने प्रेम से उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसी का आठवां बालक तेरा संहारक होगा।' आकाशवाणी सुन कंस घबरा गया। देवकी की ससुराल पहुंचकर उसने अपने जीजा वसुदेव की हत्या करने के लिए तलवार खींच ली। तब देवकी ने अपने भाई कंस से निवेदन किया, 'हे भाई! मेरे गर्भ से जो भी संतान होगी, उसे मैं तुम्हें सौंप दिया करूंगी। उसके साथ तुम जैसा चाहे व्यवहार करना पर मेरे सुहाग को मुझसे मत छीनो।' कंस ने देवकी की विनती स्वीकार कर ली और मथुरा लौट आया। बाद में जब देवकी गर्भवती हुईं तो कंस ने मथुरा लाकर वसुदेव एवं देवकी को कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने अपने गर्भ से पहली संतान को जन्म दिया, जिसे कंस के सामने लाया गया। देवकी के गिड़गिड़ाने पर कंस ने आकाशवाणी के अनुसार देवकी की आठवीं संतान की बात पर विचार करके उसे छोड़ दिया पर तभी देवर्षि नारद वहां आ पहुंचे। उन्होंने कंस को समझाया कि क्या पता, यही देवकी का आठवां गर्भ हो। इसलिए शत्रु के बीज को ही नष्ट कर देना चाहिए। नारद जी की बात सुनकर कंस ने बालक को मार डाला। इस प्रकार कंस ने देवकी के गर्भ से जन्मे एक-एक कर 7 बालकों की हत्या कर दी।

जब कंस को देवकी के 8वें गर्भ की सूचना मिली तो उसने बहन और जीजा पर पहरा और कड़ा कर दिया। भाद्रपक्ष की कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। उस समय घोर अंधकार छाया हुआ था। मूसलाधार वर्षा हो रही थी। तभी वसुदेव की कोठरी में अलौकिक प्रकाश हुआ। उन्होंने देखा कि शंख, चक्र, गदा और पद्मधारी चतुर्भुज भगवान उनके सामने खड़े हैं। भगवान के इस दिव्य रूप के दर्शन पाकर वसुदेव और देवकी उनके चरणों में गिर पड़े। भगवान ने वसुदेव से कहा, 'अब मैं बालक का रूप धारण करता हूं। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नंद के घर पहुंचा दो। वहां अभी एक कन्या ने जन्म लिया है। मेरे स्थान पर उस कन्या को कंस को सौंप दो। मेरी ही माया से कंस की जेल के सारे पहरेदार सो रहे हैं और कारागार के सारे ताले भी अपने आप खुल गए हैं। यमुना भी तुम्हें जाने का मार्ग अपने आप देगी।'

वसुदेव ने भगवान की आज्ञा पाकर शिशु को छाज में रखकर अपने सिर पर उठा लिया। यमुना में प्रवेश करने पर यमुना का जल भगवान श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श करने के लिए हिलोरें लेने लगा और जलचर भी श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श के लिए उमड़ पड़े। गोकुल पहुंचकर वसुदेव सीधे नंद बाबा के घर पहुंचे। घर के सभी लोग उस समय गहरी नींद में सोये हुए थे पर सभी दरवाजे खुले पड़े थे। वसुदेव ने नंद की पत्नी यशोदा की बगल में सोई कन्या को उठा लिया और उसकी जगह श्रीकृष्ण को लिटा दिया। उसके बाद वसुदेव मथुरा पहुंचकर अपनी कोठरी में पहुंच गए। कोठरी में पहुंचते ही कारागार के द्वार अपने आप बंद हो गए और पहरेदारों की नींद खुल गई।

कंस को जैसे ही कन्या के जन्म का समाचार मिला, वह तुरन्त कारागार पहुंचा और कन्या को बालों से पकड़कर शिला पर पटककर मारने के लिए ऊपर उठाया लेकिन कन्या अचानक कंस के हाथ से छूटकर आकाश में पहुंच गई। आकाश में पहुंचकर उसने कहा, 'मुझे मारने से तुझे कुछ लाभ नहीं होगा। तेरा संहारक गोकुल में सुरक्षित है।' यह सुनकर कंस के होश उड़ गए। कंस उसे ढ़ूंढ़कर मारने के लिए तरह-तरह के उपाय करने लगा। कंस ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अनेक भयानक राक्षस भेजे, परन्तु श्रीकृष्ण ने उन सभी का संहार कर दिया। बड़ा होने पर कंस का वध कर उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया और अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त कराया। तभी से भगवान श्रीकृष्ण की स्मृति में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा। वास्तव में जन्माष्टमी का पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हम अपनी बुद्धि और मन को निर्मल रखने का संकल्प लेते हुए अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष रूपी मन के विकारों को दूर करें।

(लेखक पत्रकार हैं।)


Updated : 20 Aug 2019 1:42 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top