Home > एक्सक्लूसिव > राजनीतिक मंच से लेकर संसद तक विपक्षी राजनेता खाते थे खौफ

राजनीतिक मंच से लेकर संसद तक विपक्षी राजनेता खाते थे खौफ

राजनीतिक मंच से लेकर संसद तक विपक्षी राजनेता खाते थे खौफ
X

नई दिल्ली। भाजपा की फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज मुखर व्यक्तित्व और वाकपटुता के लिए जानी जाती थीं। उनके अकाट्य तर्कों से विरोधी खौफ खाते थे तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की प्रवृत्ति के चलते सम्मान भी देते थे। सुषमा सांसद से लेकर केंद्रीय मंत्री, पार्टी पदाधिकारी और विपक्ष की नेता सहित हर मोर्चे पर अव्वल रहीं। आइए उनके यादगार जीवन पर नजर डालें...

सुषमा स्वराज प्रखर वक्ता और सुलझी हुई राजनेता के रूप में दलगत राजनीति से ऊपर छवि बनाई और सभी वर्गों से विशेष सम्मान भी अर्जित किया। विपक्ष में रहते हुए सुषमा संसद के भीतर और बाहर ऐसी प्रखर वक्ता थीं, जिससे उसके विरोधी खौफ भी खाते थे और अकाट्य तर्कों का लोहा भी मानते थे। वाजपेयी सरकार में विभिन्न मंत्रालयों को संभालते हुए, दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए, हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री रहते हुए और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री पद पर सेवाएं देते हुए सुषमा ने कामकाज से प्रभावित किया।

वह राजनीति में अटल-आडवाणी युग के बाद दूसरी पीढ़ी के प्रखर नेतृत्व ग्रुप में शुमार की जाती थीं। 1990 के दशक में उनकी शैली को अलग माना गया। हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पार्टी ने जहां से कहा वह मैदान में उतरीं और लोगों में रच-बस गईं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री के रूप में सुषमा सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर बेहद सक्रिय थीं और देश-विदेश में जो भी उनसे मदद मांगता था, वह तत्काल उसकी सहायता करती थीं। हालांकि बीते कुछ वर्षों में स्वास्थ्य गिरने के कारण उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हुई थी। यही वजह है कि उन्होंने पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा।

25 साल की उम्र में मंत्री बनीं : सुषमा ने 1970 के दशक में एबीवीपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1977 में 25 साल की उम्र में हरियाणा विधानसभा की सदस्य बनीं और कैबिनेट मंत्री का पद संभाला। उनके नाम सबसे कम उम्र में जनता पार्टी हरियाणा की अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड भी है। वो 1987 से 1990 के बीच भाजपा व लोकदल की गठबंधन सरकार में हरियाणा की शिक्षा मंत्री रहीं।

1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं : सुषमा अप्रैल 1990 में राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। 1996 में दक्षिण दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से 11वीं लोकसभा के लिए चुने जाने तक राज्यसभा सदस्य रहीं। 1996 में वाजपेयी की पहली सरकार में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री तो 1998 में दूसरी बार दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से 12वीं लोकसभा के लिए चुनी गईं। वाजपेयी जी के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। अक्टूबर, 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला।

जीवन परिचय

1952 में 14 फरवरी को अंबाला छावनी में जन्म।

1973 में सुषमा स्वराज ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत का अभ्यास करना शुरू किया।

1975 में स्वराज कौशल के संग उनका विवाह हुआ।

1977 में सुषमा स्वराज सबसे कम उम्र में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, उस समय उनकी आयु 25 वर्ष थी।

1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में बनी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं।

1977-1982 और 1987-1909 के दौरान दो बार हरियाणा से विधायक बनीं।

1998 में दिल्ली से विधायक चुनी गईं।

1998 में इन्होंने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री का पद संभाला।

2009 में लोकसभा में विपक्ष की नेता बनीं।

2014 से 2019 तक मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं।

07 बार सांसद रह चुकी हैं सुषमा।

03 बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं।

उल्लेखनीय है कि पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार रात नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। एम्स के सूत्रों ने बताया कि स्वराज को रात 10 बजकर 15 मिनट पर गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया और उन्हें सीधे आपातकालीन वॉर्ड में ले जाया गया। जानकारी के मुताबिक सुषमा को दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। भाजपा की वरिष्ठ नेता का 2016 में गुर्दा प्रतिरोपित किया गया था और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। उन्होंने अपने अंतिम ट्वीट में कश्मीर पर सरकार के कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी। उन्होंने कहा था कि वह इस दिन का पूरे जीवनभर इंतजार कर रही थीं।

Updated : 7 Aug 2019 4:27 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top