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आपने मप्र में कौन से झंडे गाड़ दिए

केन्द्र के आम बजट पर कमलनाथ की नकारात्मक प्रतिक्रिया पर भडक़े मध्यप्रदेशवासी, ट्वीटर पर बोले

भोपाल, विशेष संवाददाता। केन्द्र सरकार के आम बजट पर मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने ट्वीटर पर नाकारात्मक प्रतिक्रिया देना भारी पड़ गया। केन्द्रीय बजट पर प्रतिक्रिया आते ही मप्र के बेरोजगार युवा, किसान और आम नागरिकों ने बजट को छोडक़र मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार पर शब्द वाणों का सीधा प्रहार कर दिया। अधिकांश लोगों ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि उन्होंने एक वर्ष की अवधि में मप्र में कौन से झंडे गाड़ दिए। वचन पत्र को क्यों भूल गए। बेरोजगारों को नौकरी कब दोगे, जैसी प्रतिक्रियाएं दी हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ को उनके ट्वीटर पर हैजटेग किए गए कुछ लोगों की प्रतिक्रियाएं जस की तस उल्लेखित की जा रही हैं।

ओमप्रकाश मिश्र - तो आपने मप्र में कौन से झंडे गाडे हैं, शिक्षक भर्ती तो सभी रिक्त पदों में करा नहीं पाए। अतिथि शिक्षक बेचारे 50 दिनों से भोपाल में इस तरह की ठंड में मर रहे हैं। बात करते हैं बडी-बडी, शर्म आनी चाहिए ।

नीरज अंबिका किरार - आप तो ऐसे बोल रहे हैं, जैसे मध्य प्रदेश के सभी किसान टाटा-बिरला और बेरोजगार कलेक्टर बन गये हैं। (दूसरा ट्वीट) सर वैसे तो आप और कांग्रेस बड़ा गांधी-गांधी का राग अलापते हैं, ये कैसा प्यार गांधी के लिए कि उसकी सकल ही भूल गए, पर कोई नई आपकी गलती नहीं है, सब बुढ़ापे का असर है।

सुभाष त्रिपाठी - सर आपने एमपी के नौजवानों के लिए क्या किया है। आप तो केवल जाति की गंदी राजनीति कर रहे हैं। ओबीसी का अरक्षण बढ़ाकर और सामान्य वर्ग का शोषण कर रहे है। आप तो बीजेपी वालों से भी खराब निकले आप ओबीसी और सवर्णों के बीच दरार डाल रहे हैं। आपने हम युवाओं के लिये क्या किया है थोड़ा ये भी बताइये।

डॉ. भानू श्रीवास्तव - कांग्रेस ने, वचनपत्र में आंकड़ों का मायाजाल पेश किया। अतिथिविद्वानों को नियमितीकरण का वचन दिया और 2700 को नौकरी से बाहर किया। 8 माह से सैलरी नहीं। 53 दिनों से आंदोलन, मंत्रीजी को फर्सत नहीं? मप्र सरकार ने सभी को ठगा है? झूठा वचन झूठा प्रचार मप्र सरकार।

द नाईट टॉकर्स - मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी क्यों नहीं निकाली। छात्र डिग्री लेके भटक रहे उम्र बड़ रही कुछ करिए।

मनोहर मेवाड़ा - सर अपके वादे कहां तक पूरे हुए। जो वादा किया था 200000 तक का कर्ज माफ करने का नहि।

कमलेश चौधरी एसीसीई कोर्डिनेटर - महिला बाल विकास के एसीसीई कोऑर्डिनेटर जिन्होंने ईमानदारी से जमीनी स्तर पर बच्चों के लिए कार्य किया। आज उनका परिवार उनकी ईमानदारी का दंश झेल रहा है, उन्हें विभाग बाहर करने की हर सम्भव कोशीश कर रहा है। क्या ये है हमारी सरकार, जहाँ अधिकारी मुख्यमंत्री से बड़े हो गए हंै।

धर्मेन्द्र किसान - आदरणीय आपने किसान के गेहूं का बोनस नहीं दिया अब आना चुनाव में कांग्रेस की औकात पता चल जाएगी।

रोहित शर्मा - (50 हजार पुलिस कर्मियों की भर्ती का विज्ञापन) इस वादे को क्या 2050 मैं पूरा करोगे क्या

रामबोलो पंवार - अभी देश को आप छोड़ो आप तो अपने राज्य की सोचो आप ने क्या दिया अभी तक नोकरी दी क्या?

अनिल भट्ट - पहले मध्यप्रदेश को किये गए वादे पूरे करे फिर देश की बात करे।

बालेन्दु भारतीय - तो आपको किसने रोका है। आप अपने बजट में सारी कमी पूरी कर दो। आप भी तो राज्य के मुखिया हो।

नेगी विजय - इतना समझदार कब से हो गये कांग्रेसी

डॉ. हर्ष मिश्र - आपने क्या अच्छा किया बताये, 2700 अतिथि विद्वान जिन्होंने आपको वोट दिया उनकी रोजी रोटी आपने छीन ली।

आनंद ही आनंद - (सीएए के कांग्रेसी विरोध से आक्रोशित)इस बजट को आप मप्र में लागू नहीं होने दीजिये

माही के - आपने कहां किसी को रोजगार दे दिया। वर्ग 1 और 2 वाले अभ्यर्थियों को आज भी लटका रखा है, दिया तले अंधेरा है साहब।

सौरभ दुबे - चिंता की कोई बात नहीं छिंदवाड़ा से एक बेरोजगार को रोजगार मिल गया है । सांसद बन गया है।

दुर्गा एस - महोदय जी थोङ़ा चुनाव से पहले जो वचन पत्र आपने वांचा था एकबार फिर से पढ़ लीजिए। कितने वचन पूरे कर दिऐ आपने। दूसरो की बगल झांकने से पहले अपने गिरेवान पर झांक लेना चाहिऐ। मैं कोई नेता या पार्टी से संबंध नही रखता। पते की बात बता दूं कुछ हद तक काफी लोग समझ चुके है, नेताओं के चरित्र को।

Updated : 2 Feb 2020 12:39 PM GMT
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Vinod Dubey

Journalist from Bhopal


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