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शानदार अभिनय और निर्देशन से सजी फिल्म 'पानीपत'

शानदार अभिनय और निर्देशन से सजी फिल्म पानीपत
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फिल्म: 'पानीपत: द ग्रेट बिट्रेयल'। कलाकार: अर्जुन कपूर, कृति सेनन, संजय दत्त, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे, मंत्रा और जीनत अमान आदि।

निर्देशक: आशुतोष गोवारिकर, निर्माता: सुनीता गोवारिकर और रोहित शेलाटकर

रेटिंग: 3.5/5

इतिहास किसी संस्कृति का वह दस्तावेज है जिसे भूला नहीं जा सकता। जो समाज इसे भूल जाता है उस समाज का पतन हो जाता है। पानीपत भी इतिहास का पन्ना है। यहां तीन लड़ाइयां हुईं। अंतिम लड़ाई 1761 में मराठाओं और अहमद शाह अब्दाली की बीच हुई थी और इसी लड़ाई का सेलुलाइड पर पुनर्लेखन किया है आशुतोष गोवारिकर ने। आशुतोष गोवारिकर को इतिहास का इतिहास लिखने में महारत हासिल है। उनकी महारत इस फिल्म में भी दिखती है।

सदाशिव राव भाऊ पेशवा आर्मी कमांडर हैं। जिनके रग रग में मातृभूमि के लिए मर मिटने का जज्बा है और इसी जज्बे को पानीपत के मैदान में अफगान बादशाह दुर्दांत लुटेरा अहमद शाह अब्दाली के सामने दिखाया गया है। मुख्य बात अहमद शाह के रोकने के लिए सदाशिव राव के साथ देशी रजवाड़ों का अपनी सेना के साथ खड़ा होकर अब्दाली का मुकाबला करना इतिहास के अनछुए पहलुओं को दिखाता है। मराठों की हार का कारण युद्धभूमि से एक राजा का अलग हो जाना भी था। यही धोखा फिल्म का शीर्षक बनता है 'पानीपत: द ग्रेट बिट्रेयल'।

अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कीर्ति सेनन की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में सदाशिव राव की भूमिका में अर्जुन कपूर हैं तो अब्दाली के चरित्र को संजय दत्त ने निभाया है। दोनों ने ही अपनी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। अर्जुन वीर योद्धा हैं लेकिन साथ ही साथ कुशल रणनीतिकार भी हैं। सही जगह पर शौर्य का प्रदर्शन करते हैं तो दूसरी तरफ शांत गंभीर होकर कुटनीति दिखाते हैं। इसमें वे सफल रहे हैं। संजय दत्त ने भी अब्दाली की भूमिका को जीवंत कर दिया है। क्रूर आक्रांता के चरित्र को उस समय मजबूती मिलती है जब फिल्म के इंट्रोड्क्टरी सीन में अपने हमलावर को मार डालते हैं। एक सीन को बखूबी निभा कर संजय दत्त अब्दाली के चरित्र को विस्तार देने में कामयाब हो जाते हैं। अब बात कीर्ति सेनल की तो वे इस फिल्म में बहुत खूबसूरत दिखी हैं। वे एक ओर उदात्त प्रेम की अभिव्यक्ति तो दूसरी ओर युद्धभूमि में पति का साथ देती योद्धा दोनों ही रूपों में प्रभावित करती हैं।

आशुतोष गोवारिकर एक संवेदनशील निर्देशक हैं। इतिहास पर उनकी पकड़ अद्भुत है। वे घटनाओं को सिर्फ दिखाते नहीं बल्कि उसे विश्लेषित भी करते हैं। इस फिल्म में भी उन्होंने मराठा इतिहास को अपने नजरिये से विश्लेषित करने की कोशिश में सफल रहे हैं।

अजय अतुल का संगीत है। मराठी संगीत के एक मजबूत स्तम्भ हैं वे। उन्होंने बैकग्राउंड स्कोर देने में कमाल का काम किया है। गीतों को भी कर्णप्रिय बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। इतिहास के तथ्यों में रुचि रखने वाले गंभीर दर्शकों को फिल्म पसंद आएगी।

Updated : 6 Dec 2019 8:07 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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