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भूस्खलन की पूर्व सूचना देने वाला यंत्र किया विकसित

भूस्खलन की पूर्व सूचना देने वाला यंत्र किया विकसित
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मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने भूस्खलन के पूर्व संकेत देने में सक्षम और किफायती निगरानी एवं चेतावनी तंत्र विकसित किया है। जिसे भूस्खलन केलिए संवेदनशील माने जाने वाले स्थलों पर स्थापित कर उस क्षेत्र की मिट्टी में होने वाली हलचल का पता लगाया जा सकता है। केवल मात्र 20,000 रुपए के स्वदेशी तकनीक के इस यंत्र से मौसम के विभिन्न मानकों और मिट्टी के गुणों के आधार पर भूस्खलन के पूर्व संकेत प्राप्त किए जा सकते हैं। जिससे हर साल होने वाले करोड़ों के नुक्सान को बचाया जा सकता है। वहीं पर राज्य सरकार के आपदा चेतावनी तंत्र को मजबूत करने में भी कारगर साबित होगा।

हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन एक आम समस्या और बड़ी आपदा है। देश में हर साल लगभग 200 लोग भूस्खलन में जान गवां देते हैं। जबकि इससे बुनियादी सुविधाओं को हुए नुक्सान की भरपाई में ही करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं। समस्या इस वजह से अधिक गंभीर है कि भूस्खलन से सुरक्षा के लिए जो मौजूदा निगरानी एवं चेतावनी तंत्र हैं उनकी कीमत करोड़ों में है। इसलिए इतने बड़े भूभाग पर बड़े पैमाने पर इसे लागू करना महंगा सौदा साबित होता है। ।

भूस्खलन निगरानी तंत्र का उद्देश्य मिट्टी के मूवमेंट की असमान्यता भांप कर ब्लिंकर के माध्यम से सड़क यातायात व्यवस्था को चेतावनी देना है। ये ब्लिंकर सड़क पर जहां-जहां मुमकिन हो लगे होंगे। सिस्टम जहां भी लगा हो उसकी मिट्टी के हर एक मूवमेंट पर ब्लिंकर 10-15 सैकेंड के लिए ऑन लाइन होकर बतौर चेतावनी रोशनी और आवाज देता है। हाल में कोटरोपी में भी बारिश की वजह से हुए मड-फ्लो के भारी प्रवाह को भांपते हुए इस सिस्टम ने अपना काम किया था।

आईआईटी मंडी के पप्वज ग्रुप द्वारा तैयार यह सयंत्र दस से पचास मीटर के दायरे में होने वाली मिट्टी की हलचल को रिकार्ड कर हरकत में आता है। आमतौर पर पहाड़ों में ढलानों के बीच बहने वाले नालों के आसपास बरसात के मौसम में मिट्टी और पत्थर खिसकने से भूस्खलन होता रहता है। जिससे रास्ते जाम होने के अलावा जान माल की हानि भी होती है। मगर यह सिस्टम मिटटी की हर हलचल को रिकार्ड कर संकेत देना शुरू कर देता है। इसका दायरा दस से पचास मीटर के बीच ही है। जहां से यह हर गतिविधि को रिकार्ड कर सूचना देता रहता है।

आईआईटी मंडी के कंप्यूटर एवं इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. वरुण दत्त का कहना है कि संस्थान के शिक्षक-विद्यार्थी समूह (पप्वके) ने स्वदेशी तकनीक से कम लागत के भूस्खलन निगरानी एवं चेतावनी तंत्र का विकास किया है। इस यंत्र से मौसम के विभिन्न मानकों और मिट्टी के गुणों के आधार पर भूस्खलन के पूर्व संकेत प्राप्त किए जा सकते हैं।

वहीं आईआईटी मंडी के इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. के. वी.उदय का कहना है कि जहां यह सिस्टम लगा होगा उस इलाके की मिट्टी के मूवमेंट की अलग-अलग तीव्रता को भांपकर स्थानीय ब्लिंकर और हूटर के माध्यम से और विश्व स्तर पर एसएमएस से चेतावनी के संकेत प्राप्त किए जा सकते हैं।

Updated : 31 July 2018 11:14 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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