जेट एयरवेज के अधिग्रहण से टाटा बनेगा उड्डयन क्षेत्र में अग्रणी
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नई दिल्ली। अगर टाटा ग्रुप आर्थिक संकट का सामना कर रही जेट एयरवेज का अधिग्रहण कर लेता है तो वह उड्डयन के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरेगा। टाटा के पास अभी विस्तारा व एयर एशिया इंडिया जैसे संयुक्त उपक्रम मौजूद हैं।
इस बीच प्राइसवाटर हाउस कुपर्स प्राइवेट लिमिटेड के पार्टनर धीरज माथुर ने कहा कि महज विस्तारा के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में कई साल लग जाएंगे।
माथुर ने आगे कहा कि जेट एयरवेज की देनदारी के कारण इस डील में कुछ जोखिम जरूर है लेकिन अगर डील संभव हो जाती है तो टाटा ग्रुप फायदे में रहेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले सितम्बर के दौरान उड्डयन के क्षेत्र में विस्तारा की साझेदारी 3.8 फीसदी की थी जबकि एयर एशिया इंडिया की साझेदारी 4.4 फीसदी थी। हालांकि जेट एयरवेज की साझेदारी 15.8 फीसदी की है। इस प्रकार अगर टाटा ग्रुप की अगर जेट एयरवेज से डील हो जाती है तो टाटा की उड्डयन क्षेत्र में साझेदारी 24 फीसदी तक पहुंच जाएगी। हालांकि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा साझेदार इंडिजिसकी साझेदारी 43.2 फीसदी है। एक एयरलाइन के एक कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि जेट एयरवेज के साथ आ जाने से विस्तारा को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत के लिए अच्छा होगा। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में जेट एयरवेज की मजबूत पकड़ है। इसके पास एजेंटों, कर्मियों व मूलभूत संरचना का सक्षम नेटवर्क मौजूद है। टाटा के पास इसके जाने पर टाटा ग्रुप की पकड़ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में मजबूत हो जाएगी।
जानकारी के मुताबिक अभी विस्तारा भारत में अपना विस्तार नहीं कर सकती, क्योंकि अभी मुंबई व दिल्ली में इसके पास एयरपोर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर जेट एयरवेज का यह अधिग्रहण कर लेती है तो इसके पास यहां भी एयरपोर्ट उपलब्ध हो जाएंगे।
Swadesh Digital
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