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फिच ने दिया झटका, जीडीपी ग्रोथ की दर घटाई

फिच ने दिया झटका, जीडीपी ग्रोथ की दर घटाई
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मुंबई। वैश्विक रेटिंग एजेंसी की जो ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट आई है, उससे भारत सरकार की उम्मीदों को झटका लगा है। फिच रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान 7 प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया है। इस रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि दर के कम रहेगी। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2019-20 में 6.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2020-21 में 7.10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस की ओर से जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

फिच ने पिछले साल दिसंबर में भी चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था। फिच ने बेस रेट के बारे में अपना आउटलुक बदल दिया था। आसान वैश्विक मौद्रिक परिस्थितियों एवं मुद्रास्फीति के दायरे में रहने के कारण बेस रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ जुलाई-सितंबर तिमाही में 7 प्रतिशत और अप्रैल-जून तिमाही में 8 प्रतिशत की ऊंचाई पर रहने के बाद लगातार दो तिमाहियों में थोड़ी कमजोर पड़ गई और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6.6 प्रतिशत रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कृषि क्षेत्र में आई सुस्ती के कारण जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार घटी है। इसके अलावा नॉन-बैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों (एनबीएफसी) सेक्टर में भी सुस्ती छाई रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो और टू-व्हीलर्स एवं नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) पर निर्भर क्षेत्रों में कर्ज में सख्ती देखी गई, जिससे सेल्स में कमी आई है। हालांकि फूड इनफ्लेशन स्थिर बनी हुई है, जबकि पिछले साल यह दर निगेटिव रही थी। इससे किसानों की आय पर दबाव बढ़ा है।

Updated : 22 March 2019 9:30 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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