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कैब से विपक्ष को फिर मिला एकजुटता का मौका, भाजपा को हो सकता है सियासी नुकसान

कैब से विपक्ष को फिर मिला एकजुटता का मौका, भाजपा को हो सकता है सियासी नुकसान
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नई दिल्ली। नागरिकता कानून ने विपक्ष को सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। इस कानून के जरिए कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट कर सरकार और भाजपा के खिलाफ अपने हमलों को और धार देगी। पार्टी सरकार के खिलाफ रविवार को होने वाली 'भारत बचाओ रैली' में इस मुद्दे को उठाएगी।

कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने प्रदेशों में नागरिकता कानून को लागू करने से इनकार कर चुके हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, यह एक बड़ा मुद्दा है। सरकार संविधान की मूल भावना का उल्लंघन किया है। हम इस मुद्दे पर सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर भाजपा के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे। इस विषय पर तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट सहित कई विपक्षी पार्टियां उनके साथ हैं।

पूर्वोत्तर के साथ कई दूसरे प्रदेशों में भी विरोध बढ़ेगा। खासतौर पर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा होगा। पूर्वोत्तर के कई दूसरे राज्यों में भी चुनाव प्रचार के दौरान यह मुद्दा उठेगा ऐसे में भाजपा को इसका सियासी नुकसान हो सकता है।

पार्टी के एक नेता ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के बाद पूर्वोत्तर में भाजपा की बढ़त रुक जाएगी। राजनीतिक तौर पर इसका फायदा कांग्रेस और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों को मिल सकता है। पर इसके लिए पार्टियों को अभी से मेहनत करनी होगी। इस कानून के खिलाफ लोगों का साथ देना होगा। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून का हिंदी भाषी प्रदेशों में विरोध भाजपा के पक्ष में जा सकता है। मुसलिम समुदाय इस कानून के खिलाफ हैं। ऐसे में मुसलिम में इसके विरोध से धार्मिक धुव्रीकरण होने की आशंका है। लिहाजा, विपक्ष इस बेहद सावधानी से रणनीति बनानी होगी।

नागरिकता संशोधन कानून पर पूर्वोत्तर में विरोध थामने में जुटी सरकार ने भरोसा दिया है कि जरूरी होने पर पूर्वोत्तर के हित को संरक्षित रखने के लिए और कदम उठाए जाएंगे। सूत्रों ने कहा कि विधेयक राज्य सरकारों को भरोसे में लेकर लाया गया था। अनुच्छेद-370 के बाद कश्मीर में स्थिति को काबू में रखने में सफल रही सरकार को पूर्वोत्तर में भी स्थिति सामान्य रहने का भरोसा था। स्थानीय स्तर पर सुरक्षा को लेकर मिले भरोसे की वजह से नागरिकता बिल के लिए केंद्र सरकार ने कश्मीर की तरह तैयारी नहीं की। केंद्र को राज्यों की ओर से भरोसा दिया गया था कि छिटपुट विरोध को स्थानीय स्तर पर संभाल लिया जाएगा।

स्थिति सामान्य रहने को लेकर आश्वस्त होने की वजह से ही जापान के प्रधानमंत्री और बांग्लादेश के मंत्रियों की यात्रा का कार्यक्रम यथावत रखा गया। लेकिन सबकुछ उम्मीद के मुताबिक न होने की वजह से महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्थगित हुए और असहज स्थिति पैदा हुई। अब कूटनीतिक व आंतरिक स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट की कोशिश विभिन्न स्तरों पर हो रही है।

एक अधिकारी ने कहा कि तैयारी ज्यादा पुख्ता हो सकती थी। अगर पहले से सुरक्षा बलों का घेरा संवेदनशील स्थानों पर बनाया जाता तो जम्मू कश्मीर से अचानक सुरक्षा बल भेजने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन पूर्वोत्तर में ज्यादातर जगहों पर भाजपा के मुख्यमंत्री हैं। उनपर भरोसा किया गया। कई अलग-अलग समूहों से गृहमंत्री अमित शाह खुद बातचीत कर रहे थे। पूर्वोत्तर की ज्यादातर चिंताओं को बिल में शामिल करने के बाद विरोध न करने का भरोसा स्थानीय समूहों से भी मिला था।

एक अधिकारी ने कहा कि असम के मुख्य इलाकों में से निचले असम में विरोध ज्यादा है। ऊपरी असम के पांच जिलों में से केवल एक में समस्या है। जबकि बराक घाटी, बोडोलैंड के इलाकों में शांति है। मेघालय और त्रिपुरा के भी सीमित इलाकों में विरोध चल रहा है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि पूर्वोत्तर में भ्रम विरोधी दलों द्वारा फैलाया जा रहा है। पूर्वोत्तर के ज्यादातर इलाकों पर इस बिल का कोई असर नहीं है यह लोगों को बताया जा रहा है। सरकार का पूरा जोर विरोध फैलने से रोकने पर है।

Updated : 14 Dec 2019 5:32 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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