अब 45 घंटे बाद विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा
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नई दिल्ली। इसरो के वैज्ञानिकों ने बुधवार तड़के 3.42 बजे विक्रम लैंडर को चांद की सबसे नजदीकी कक्षा में डाल दिया। अब विक्रम चांद से सिर्फ 35 किमी दूर है। करीब 45 घंटे बाद विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
विक्रम के चांद पर उतरते ही रोवर प्रज्ञान उसमें से निकल आएगा और अनुसंधान शुरू कर देगा। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अपनी 96 किमी.X 125 किमी. की मौैजूदा कक्षा में चांद के चारों तरफ घूम रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के मुताबिक, विक्रम का दूसरा डी-ऑर्बिटल ऑपरेशन बुधवार तड़के 3.42 बजे ऑनबोर्ड संचालन तंत्र का उपयोग करते हुए शुरू हुआ और नौ सेकेंड में पूरा हो गया। यानी अब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए उचित कक्षा में पहुंच गया है। अब अगले तीन दिनों तक लैंडर विक्रम चांद के सबसे नजदीकी कक्षा 35x97 किलोमीटर में चक्कर लगाता रहेगा। इन तीन दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की जांच की जाती रहेगी।
इसरो के अनुसार, विक्रम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सात सितम्बर को तड़के 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच उतरेगा। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 के दोनों ऑर्बिटर और लैंडर सही काम कर रहे हैं। सोमवार दोपहर को विक्रम अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 से अलग हो गया था।
रोवर प्रज्ञान एक चंद्र दिवस यानी यानी धरती के कुल 14 दिन तक चंद्रमा की सतह पर रहकर परीक्षण करेगा। यह इन 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। चंद्रमा की सतह पर लगातार 14 दिनों तक प्रयोगों को अंजाम देने के बाद रोवर प्रज्ञान निष्क्रिय हो जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर ही अनंत काल तक मौजूद रहेगा।
प्रज्ञान से पहले चांद पर सोवियत यूनियन, अमेरिका, चीन आदि ने पांच रोवर भेजे थे जो चंद्रमा पर ही निष्क्रिय पड़े हैं। दूसरी ओर ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी परिक्रमा करता रहेगा। ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में एक साल तक सक्रिय रहेगा।
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