कश्मीर घाटी में इन 3 मोर्चों पर होगी सरकार की नजर
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नई दिल्ली। कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद से वहां धारा 144 लागू है और वह मंगलवार को नौंवे दिन भी जारी रही। इसके चलते वहां रह रहे कई परिवारों को बुनियादी आवश्यकताओं की खरीद करने या अपने लोगों से मिलने तक के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। घाटी में रह रहे 50 लाख लोगों के सामने तीन मोर्चों राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को लेकर आगे क्या है।
5 अगस्त के शुरुआती घंटों से घाटी में राजनीति चल रही है- तीन पूर्व सीएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेताओं और कम से कम 500 राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। स्थानीय लोग को लगता है कि सुरक्षा तैनाती लंबे समय तक रहने की संभावना है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक स्थायी व्यवस्था नहीं है। कश्मीर में उद्योगपतियों और व्यवसायों का एक घरेलू नेटवर्क है जो विशेषाधिकारों के कारण बढ़ता है लेकिन विशेषाधिकारों की वापसी के कारण आहत भी हो सकता है।
छह महीने में हुई दो घटनाओं ने नाज़िर अहमद माग्रे के जीवन को हिला दिया। 14 फरवरी को हुए आत्मघाती बम धमाके में 40 अर्धसैनिक बल के जवान मारे गए, जो झेलम के दो मंजिला घर से मुश्किल से 100 मीटर दूर थे और 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया गया। बम का हमला - उसने शुरू में सोचा था कि यह एक विमान दुर्घटना थी - जिसमें घर की खिड़कियों उड़ा गई और घर के फ्रेम को हिला दिया।
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