Home > देश > दिल्ली हाईकोर्ट से चिदंबरम को लगा बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट से चिदंबरम को लगा बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज

-कोर्ट ने कहा, साक्ष्यों से छेड़छाड़ होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता

दिल्ली हाईकोर्ट से चिदंबरम को लगा बड़ा झटका, जमानत याचिका खारिज
X

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को झटका दिया है। कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया डील केस मामले में पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दिया है। जस्टिस सुरेश कैत ने कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।

कोर्ट ने 27 सितम्बर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान पी. चिदंबरम ने कहा था कि वे इंद्राणी मुखर्जी से कभी नहीं मिले। चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि चिदंरबम कभी आईएनएक्स के डेलीगेशन से नहीं मिले।

सिब्बल ने कहा था कि सीबीआई ने ये सवाल चिदंबरम से पूछा कि वे इंद्राणी से मिले हैं कि नहीं। तब कोर्ट ने पूछा कि आप दलील दे रहे हैं कि आपने इंद्राणी का कभी चेहरा नहीं देखा। तब सिब्बल ने कहा था कि हां। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अभी जांच जारी है और इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जानी है। मेहता ने कहा था कि अग्रिम जमानत याचिका दायर करते समय दो धाराओं के तहत मांग की गई थी। एक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत दूसरा भारतीय दंड संहिता के तहत। सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था। हम ये कहना चाहते हैं कि सीबीआई का केस मजबूत था इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज किया था। भ्रष्टाचार के केस गंभीर प्रकृति के होते हैं। अगर आरोपित को जमानत दी गई तो वो गवाहों को प्रभावित कर सकता है।

तुषार मेहता ने कहा था कि विजिटर रजिस्टर नष्ट कर दिए गए और होटल ओबेराय के बयानों के मुताबिक पीटर और इंद्राणी मुखर्जी वहां ठहरी हुई थीं, जहां मुलाकात हुई। मेहता ने कहा था कि भ्रष्टाचार की गंभीरता को समझना होगा। यह एक ऐसा अपराध है, जो अर्थव्यस्था से धोखा है। हत्या के मामले में जमानत दी जा सकती है लेकिन धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले में नहीं। मेहता ने कहा था कि यह गलत है कि आरोपित एक सम्मानित व्यक्ति है और उनके भागने का खतरा नहीं है। पहले काफी सम्मानित और संसद के सदस्य भी देश छोड़कर भागे हैं। उनके भी भागने का खतरा है।

सिब्बल ने कहा था कि पैसा कानून के मुताबिक आया है। रिजर्व बैंक और सेबी ने कभी भी नोटिस जारी नहीं किया और सात मंत्रालयों के सचिवों ने इसे स्वीकृति दी थी। चिदंबरम को पैसा देने का कोई सबूत नहीं है। चिदंबरम के भागने का कोई खतरा नहीं है। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की कोई आशंका नहीं है।

पिछले 25 सितम्बर को चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि जिन दस्तावेजों पर सवाल उठाया जा रहा है वो चिदंबरम ने अपनी पत्नी नलिनी और पुत्र कार्ति चिदंबरम से हासिल किए थे। सिंघवी ने कहा था कि ये दस्तावेज ईडी के भरोसेमंद दस्तावेजों का हिस्सा थे। दरअसल कोर्ट ने पहले की सुनवाई के दौरान चिदंबरम से पूछा था कि उन दस्तावेजों के स्रोत बताएं। सिंघवी ने कहा था कि एडवांटेज इंडिया कंपनी को कंसल्टेंसी की फीस दी गई थी और इसका आधार इंद्राणी मुखर्जी का बयान है जो अपनी बेटी की हत्या के मामले में जेल में बंद है। चिदंबरम के खिलाफ जो गैर जमानती वारंट जारी किया गया वो गैरकानूनी है और उनकी गिरफ्तारी उसी गैरकानूनी वारंट के आधार पर किया गया।

पिछले 24 सितम्बर को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल से पूछा था कि पैसा कंपनी के पास कहां से आया तब सिब्बल ने जवाब दिया था कि ये बैंक से आया। सिब्बल ने कहा था कि ये आरोप लगाया जा रहा है कि आईएनएक्स में डाउनस्ट्रीम चैनल से पैसा आया। आईएनएक्स न्यूज आईएनएक्स मीडिया कंपनी की सहयोगी कंपनी थी। सिब्बल ने एक प्रेस नोट दिखाया था जिसका विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उन्हें स्रोत बताना चाहिए कि वे ये सरकारी दस्तावेज कहां से लाए। सिब्बल ने कहा था कि ये पब्लिक डॉक्युमेंट है।

सिब्बल ने कहा था कि फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की स्वीकृति मिली थी और उसमें सब कुछ वैध था। उन्होंने कोर्ट को फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मीटिंग के मिनट्स दिखाए। सबने फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की स्वीकृति देते समय सही काम किया। सिब्बल ने कहा था कि हमने बताया है कि हमारे भागने की कोई संभावना नहीं है। हमने 2007 से अब तक किसी को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की है। इस मामले में चिदंबरम को एक ही बार समन भेजा गया। सिब्बल ने कहा था कि इस मामले में सभी जेल के बाहर हैं तो हमारे मुवक्किल को जेल में क्यों रखा गया है। दूसरे देशों को आग्रह का पत्र भी 2018 में भेजा गया, जिसका अब तक कोई जवाब नहीं आया है। इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि चिदंबरम ने किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की हो। चिदंबरम 74 वर्ष के हैं और उन्होंने कई मंत्रालयों में अपना समय दिया है। उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है।

सीबीआई के जवाबी हलफनामे के जवाब में अपने हलफनामे में कहा था कि उन्होंने अपने वित्तमंत्री के अपने पद का व्यक्तिगत फायदे के लिए दुरुपयोग नहीं किया। सीबीआई के हलफनामे के जवाब में दायर हलफनामे में चिदंबरम ने कहा था कि उनके खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर पहले ही जारी किया जा चुका है और ऐसे में हमारे कहीं भागने की कोई संभावना नहीं है।

चिदंबरम ने अपने हलफनामे में कहा कि आईएनएक्स मीडिया डील की अनुमति स्वीकृत मानदंड के मुताबिक दी गई थी। उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है और ये बैंक धोखाधड़ी का कोई मामला नहीं है। चिदंबरम ने कहा था कि इंद्राणी मुखर्जी भरोसेमंद नहीं क्योंकि वे और उनके पति के खिलाफ हत्या के एक मामले में जब सीबीआई ने जांच शुरू की तो वे इस मामले में सरकारी गवाह बन गईं।

Updated : 2 Oct 2019 12:00 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top