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तीन तलाक उन्मूलन के रूप में याद किया जायेगा वर्ष 2017

तीन तलाक उन्मूलन के रूप में याद किया जायेगा वर्ष 2017
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भोपाल। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि 19 वी शताब्दी में सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए राजा राममोहन राय ने संघर्ष किया था और सती प्रथा के उन्मूलन में वे नायक बने उसी तरह तीन तलाक की कुप्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दिशा दी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हीरो सिद्ध हुए है। वर्ष 2017 तीन तलाक उन्मूलन के वर्ष के रूप में याद किया जायेगा।उन्होंने कहा कि तीन तलाक कुप्रथा शरियत के मुताबिक भी सही नहीं थी। यह बात मुस्लिम विद्धानों से छिपी नहीं थी। यही कारण है कि पाकिस्तान सहित 22 देश इससे पहले ही पिंड छुड़ा चुके थे लेकिन भारत में इसे प्रतिबंधित करने में इतना समय लगा। इसका एक मात्र कारण यही रहा है कि सियासी दलों ने तुष्टीकरण को अपनी सियासत के औजार के रूप में इस्तेमाल किया लेकिन रोचक तथ्य यह है कि सियासत के माध्यम से ही तीन तलाक कुप्रथा को विदाई देने में देश सफल हुआ।

गौर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा तय की लेकिन यह बात काबिले गौर है कि सर्वोच्च न्यायालय को हवा का रूख दिखाने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साहस से संभव हुआ। अदालत ने ही मुस्लिम महिलाओं को पुरूष प्रधान कट्टरता से लोहा लेने का साहस पैदा किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक पर बन रहे कानून को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का मंतव्य व्यक्त किया है। लोकतंत्र में यह उनका हक बनता है। केन्द्रीय कानून मंत्री का यह कथन कि तीन तलाक के गुनहगारों के अधिकारों की बात तो की जा रही है लेकिन जो महिलाएं तीन तलाक की सजा भुगत रही है परित्यक्त जीवन जी रही है। उनकी आवाज भी तो कोई बने। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसी खौफजदा, बेसहाय महिलाओं को कवच देने पर आमादा है। मोदी सरकार की दृढ़ता मानसिक मजबूती सराहनीय है। तीन तलाक उन्मूलन के दिशा में यह वाकई एक क्रांतिकारी कदम है। जिससे आधी आबादी नरेन्द्र मोदी की मुरीद बन गयी है।

Updated : 2 Jan 2018 12:00 AM GMT
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