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राजधानी के 'लुटियंस चक्रव्यूह' को तोड़ना पीएम के लिए बड़ी चुनौती

राजधानी के लुटियंस चक्रव्यूह को तोड़ना पीएम के लिए बड़ी चुनौती
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नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष और हिन्दुस्थान समाचार के समूह संपादक रामबहादुर राय ने कहा कि राजधानी दिल्ली में निहित स्वार्थी तत्वों का एक ऐसा जाल है जो देश की जनता की आशा-अपेक्षाओं और जनादेश को बेअसर करने की साजिश रचता है। श्री राय ने प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली के इस 'लुटियंस चक्रव्यूह' को तोड़ने के इरादे से वर्ष 2014 में सत्ता की कमान संभाली थी। पहली बार देश में ऐसी सरकार आयी जिसने देश के शासन और प्रशासन को जनता के हितों के साथ पूरी तरह जोड़ने की कोशिश की। देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जिसकी नियत साफ है और वह तन, मन धन से देश के उत्थान के लिए कार्यरत है।

उन्होंने कहा कि समय बीतने के साथ ही आज यह स्पष्ट हो रहा है कि 'लुटियंस चक्रव्यूह' श्री मोदी के रास्ते में किस प्रकार की बाधाएं खड़ी कर रहा है। मोदी को इन चुनौतियों का सामना करते हुए देशवासियों की आशा-अपेक्षा को पूरा करना है।
उन्होंने कहा कि 'लुटियंस चक्रव्यूह' शासन तंत्र और जनता के बीच खाई बनाये रखना चाहता है और अंग्रेजी मानसिकता से आम जनता को अधिकारविहीन बनाकर शासन करने में विश्वास रखता है। राजधानी के विभिन्न सत्ता केंद्र और प्रतिष्ठान अभी भी ऐसी ही मानसिकता के शिकार हैं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में अंग्रेज उपनिवेशवादियों ने भारत से विदा होने के पहले यह सुनिश्चित कर दिया था कि देश के आजाद होने के बाद भी उनका एजेंडा चलता रहे। इसी उद्देश्य से जवाहरलाल नेहरू को देश का पहला प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया जबकि इस पद पर असली दावेदारी सरदार पटेल की थी। कांग्रेस पार्टी की अधिकतर राज्य इकाइयां सरदार पटेल को ही प्रधानमंत्री बनाए जाने के पक्ष में थी। यदि वह देश के पहले प्रधानमन्त्री होते तो आज देश की तस्वीर दूसरी होती। पत्रकार संदीप देव की शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक 'प्रधानमन्त्री मोदी: लुटियंस चक्रव्यूह' की चर्चा करते हुए श्री राय ने कहा कि यह पुस्तक राजधानी में फैले निहित स्वार्थी तत्वों के इस जाल को समझने में मददगार होगी। पुस्तक से ईमानदार नेताओं और नागरिकों को ऐसी दृष्टि मिलेगी जिससे इस चक्रव्यूह को तोड़ा जा सके। अपनी पुस्तक की विषयवस्तु के बारे में संदीप देव ने बताया कि राजधानी में नौकरशाहों, बिचौलियों, हथियारों के सौदेबाजों और लॉबिंग करने वाले मीडियाकर्मियों ऐसा समूह है जो सरकार के फैसलों और नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करता है। वह अपने हित साधन के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाता है। इन्ही निहित स्वार्थी तत्वों ने पूरी कोशिश की थी कि मोदी देश के प्रधानमन्त्री नहीं बन सकें। जब उनके मंसूबे सफल नहीं हुए तो अब उनकी कोशिश है कि मोदी और उनके विकास के एजेंडे को कैसे असफल बनाया जाये।

Updated : 12 Jan 2018 12:00 AM GMT
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