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राम की तपोभूमि में होती है रावण की पूजा

राम की तपोभूमि में होती है रावण की पूजा
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चित्रकूट। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपोभूमि रही धर्म नगरी चित्रकूट में रैपुरा एक ऐसा गांव है जहां अहंकारी रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है। यहां स्थाई रूप से रावण की मूर्ति भी स्थापित है।

ग्रामीणों का मानना है कि रावण की मूर्ति क्षेत्र के लिए अपशगुन नहीं बल्कि वरदान से कम नहीं है। इस मूर्ति की स्थापना कब हुई थी, इसकी सही जानकारी ग्रामीणों को नहीं है। ग्रामीण इतना जरूर बताते हैं कि यह दशकों पुरानी है। इस गांव के कई लोग आईएएस व पीसीएस हैं।

देश के अधिकांश हिस्सों में आज रावण के पुतले को फूंककर दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। धर्मनगरी में भी जहां-जहां रामलीला का मंचन चल रहा है वहां भी रावण के बड़े-बड़े पुतले तैयार करा लिए गए हैं। लेकिन भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में ऐसा गांव रैपुरा है, जो इससे दूर है। हाईवे किनारे ही स्थाई रूप से बनी रावण की मूर्ति का हर साल ग्रामीण रंगरोगन कराकर पूजन करते हैं। इसे कतई अपशगुन नहीं माना जाता। जिसके चलते सुबह से ही ग्रामीण पूरे उत्साह के साथ मूर्ति का रंगरोगन कराकर साफ सफाई करने में जुटे रहें।

गांव के लोगों का मानना है कि रावण बहुत बुद्धिमान था और उनकी मूर्ति गांव में होने से यह जनपद का ऐसा पहला गांव है जहां पर शिक्षा का स्तर ऊंचाइयों पर है।

गांव के पूर्व प्रधान जगदीश पटेल ने बताया कि गांव के बच्चे सुबह स्कूल जाते समय कई बार तो वहीं खड़े होकर इसे निहारते हैं और फिर घर आकर अभिभावकों से रामायण के पाठ के हिसाब से सवाल जवाब भी करते हैं। गांव में शिक्षा का स्तर काफी बेहतर है। यहां के सीपी सिंह और अभिजीत सिंह आईएएस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। तेज स्वरूप सिंह, राजस्वरूप सिंह, राम किशोर शुक्ला और यादवेंद्र शुक्ला पीसीएस अधिकारी हैं। इसके अलावा प्रहलाद सिंह (सीडीओ), प्रदीप पांडेय (बीडीओ), नाथूराम सिंह (रेंजर), डॉ. लक्ष्मी शिवा, डॉ. अखिलेश सिंह, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. अश्वनी कुमार, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. आशा सिंह, डॉ. अनुतोष सिंह स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये लोग साल में एकाध बार जरूर गांव आते हैं। सभी की प्राथमिक शिक्षा इसी गांव में ही हुई है।

Updated : 30 Sep 2017 12:00 AM GMT
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