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करोड़ों की धोखाधड़ी करने वालों पर यह कैसी कार्रवाई?

करोड़ों की धोखाधड़ी करने वालों पर यह कैसी कार्रवाई?
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ग्वालियर/स्वदेश डिजिटल। इंदौर जिले में शराब खरीदने के लिए बनवाए गए बैंक चालानों की राशि को फर्जी तरीके से बढ़ाकर विभाग से 41 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले शराब ठेकेदारों को आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है। पुलिस में धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद विभाग ने इन ठेकेदारों से शराब ठेकों के लिए हुए अनुबंध तक को निरस्त नहीं किया है। प्राथमिकी दर्ज करा चुका आबकारी विभाग इन्हीं ठेकेदारों से चालान लेकर इन्हें बेचने के लिए शराब भी उपलब्ध करा रहा है।

उल्लेखनीय है कि इंदौर जिले में शराब कारोबार करने वाले 11 समूहों के शराब कारोबारियों ने आबकारी विभाग से धोखाधड़ी करते हुए करीब सवा साल की अवधि में अत्यधिक कम राशि के हाथ से भरे बैंक चालानों में जमा कराई गई राशि के आगे फर्जी तरीके से अंक बढ़ाकर उससे लाखों रुपये की शराब खरीद डाली। इंदौर के जिला आबकारी अधिकारी ने जब इस गड़बड़ी को पकड़ा तो जिलाधीश के माध्यम से उन्होंने इस धोखाधड़ी को उजागर कराया। मामला उजागर हुआ तो आबकारी आयुक्त अरुण कोचर ने जांच कमेटी गठित की। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कुछ स्थानीय विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध निलंबन और स्थानांतरण की कार्रवाई की गई। वहीं आरोपी शराब ठेकेदारों के विरुद्ध पुलिस थाने में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराये गये। इस धोखाधड़ी के आरोपियों में वर्तमान वित्तीय वर्ष में ठेका लेने वाले शराब कारोबारियों ने गबन के अंतर की राशि को जमा करा दिया है। जबकि पिछले वर्ष के ठेकेदारों से राशि वसूली जानी शेष है।

इसे विभागीय अकर्मण्यता कहें या फिर लापरवाही कि विगत दो दिनों हुई जिले एवं संभागीय अधिकारियों की बैठक में आबकारी आयुक्त ने स्वीकार किया कि चूंकि ठेकेदारों से राशि वसूली जानी थी, इस कारण हमने जानबूझकर जांच कार्रवाई को दो महीने लंबित कराया।

सीधे दोषी फिर भी बचाए कई अधिकारी

इंदौर में शराब राजस्व में गड़बड़ी के प्राथमिक तौर पर दोषी पाए गए कई अधिकारियों पर निलंबन अथवा स्थानांतरण जैसी कार्रवाई कर दी गई है। जबकि अभी भी कई अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें वरिष्ठ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। एक अधिकारी जो इस गड़बड़ी के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। इसके बावजूद उन्हें बचाकर उन्हें जांच दल में शामिल कर दिया गया है।

फरारी में चल रहा है शराब कारोबार?

आबकारी आयुक्त अरुण कोचर ने ‘स्वदेश’ से चर्चा में बताया कि आरोपी ने सभी ठेकेदारों के विरुद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। पुलिस उन्हें गिरफ्तार एवं कार्रवाई कब और कैसे करेगी, यह पुलिस ही बता सकती है। चूंकि ठेकेदारों की दुकान निरस्त नहीं की गई है तथा माल उठाने के लिए इनके द्वारा पैसा जमा करा दिया गया है। इस कारण विभाग द्वारा इन्हें अभी भी बेचने के लिए शराब उपलब्ध कराई जा रही है। श्री कोचर ने बताया कि इंदौर कलेक्टर ने इन ठेकेदारों को नोटिस दिए हैं। इन नोटिस के जवाब के आधार पर इनके लायसेंस निलंबन की कार्रवाई की जा सकेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर लिए जाने के बाद आबकारी विभाग शराब आखिर किसको बेच रहा है। सवाल यह भी है कि क्या ठेकेदार द्वारा नौकरों के सहारे शराब बेचना कानूनी रूप से वैध है। विभाग से संबंधित दस्तावेजों, चालानों पर हस्ताक्षर आखिर कौन कर रहा है?

इनका कहना है

‘इंदौर में चालानों में गड़बड़ी कर धोखाधड़ी करने वाले ठेकेदारों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। चूंकि उनके लायसेंस निरस्त नहीं किए गए हैं, इस कारण उन्हें शराब प्रदाय की जा रही है। इस गड़बड़ी में जो भी विभागीय अधिकारी दोषी पाए गए हैं। उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है।’

अरुण कोचर
आबकारी आयुक्त म.प्र. शासन

Updated : 16 Sep 2017 12:00 AM GMT
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