Home > Archived > आंख लाल होने पर तत्काल डॉक्टरों से ले सलाह

आंख लाल होने पर तत्काल डॉक्टरों से ले सलाह

आंख लाल होने पर तत्काल डॉक्टरों से ले सलाह
X


स्वदेश वेब डेस्क। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा मौसमी बीमारीयों से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने को कहा गया है। इसके लिए संक्रमण से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिषन के संचालक आर. प्रसन्ना ने शनिवार को यहां बताया कि बरिश के दिनों में आंखों के संक्रमण की संभावना अधिक होती है। मौसम परिवर्तन के साथ कीटाणुओं की संख्या बढ़ जाती है, जिसके कारण विषेषकर आंखें लाल होने की समस्या बढ़ जाती है। संक्रमण की बीमारियां बढ़ने से कंजंक्टिवाइटिस के रोगी भी बढ़ने लगते हैं। इसे कंजक्टिवाइटिस अथवा आंख आने की बीमारी एवं आँखों का संक्रमण कहा जाता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है। अतः आवष्यक सावधानी एवं उपाय करना चाहिए।

कंजक्टिवाइटिस से बचाव के लिए सभी को सादा चश्मा लगाना चाहिए। आंखों को नहीं छूना चाहिए। साफ पानी से आंखों को धोना चाहिए। रोगी द्वारा उपयोग की हुई वस्तुएं रुमाल, तौलिया आदि उपयोग नहीं करना चाहिए। इतनी सावधानी रखने से कंजक्टिवाइटिस से काफी हद तक बचा जा सकता है।

आंख आने के प्रमुख लक्षण-

आंख आने के प्रमुख लक्षण में आंख का लाल हो जाना है, आंख से चिपचिपा पदार्थ आना, आंख में चुभन होना, आंसू आना और दर्द होता है। इस बीमारी का उपचार एंटीबायोटिक आइ-ड्रॉप से किया जा सकता हैं।

उपचार के तरीके-

सर्वप्रथम नजदीक के सरकारी अस्पताल के नेत्र रोग विषेषज्ञ से सलाह व उपचार अवष्य कराएं। चिकित्सकों से सलाह कर आइ-ड्रॉप को आंख में छह बार, तीन दिन तक डालने से यह बीमारी ठीक हो जाती है। आंख को साफ पानी से धोना चाहिए। तीन दिन में ठीक न हो तो पुनः चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। कभी-कभी यह बीमारी उपचार न कराने पर गंभीर हो सकता है। तीन दिन में यह बीमारी ठीक न हो तो कांर्निया में घाव हो सकता है। यह बैक्टीरियल संक्रमण नहीं है। दोनों स्थितियां गंभीर हैं और आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकती हैं। यहां तक कि आंख की रोशनी स्थाई रूप से नष्ट हो सकती है। अतः लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। तत्काल चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए।

एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है यह बीमारी-

रोगी की आंखों से जो द्रव्य बहता है उसमें कीटाणु होते हैं। रोगी बार बार आँख को छूता है तो उसके हाथ में कीटाणु आ जाते हैं, फिर वह जिस भी वस्तु को छूता है। कीटाणु वहां पहुंच जाते हैं और जब दूसरे व्यक्ति उस वस्तु को छूते है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। यही कारण है कि हाथ मिलाने से तथा भीड़ वाली जगहों सिनेमाघर, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, स्कूल, कॉलेज आदि जगहों में यह बीमारी ज्यादातर फैलती है।

***
और पढ़े...

मानसून में इस तरह रखे अपनी सेहत का ख्याल

अमरूद के सेवन से रहती ये बीमारियाँ दूर, जानिए क्या है इसके फायदे

मलाईरहित दूध पीने से हो सकती है ये बीमारी

Updated : 23 July 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top