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काल हस्ती महादेव के दर्शन से टल जाती है अकाल मृत्यु

काल हस्ती महादेव के दर्शन से टल जाती है अकाल मृत्यु
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अवश्य पूरी होती है शिव मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मनौती
प्रशांत शर्मा/ग्वालियर|
मान्यता है कि देवों के देव महादेव बहुत ही कृपालु हैं और भक्तों की सच्ची श्रद्धा व आस्था से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। अगर भक्त सच्चे मन से उनसे कुछ भी मांगता है तो वह उसे निराश नहीं करते हैं। शहर में भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन बहोड़ापुर स्थित बालाजी धाम में स्थित एक शिवालय ऐसा भी है, जिसे लोग काल हस्ती महादेव के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में शिव परिवार की प्रतिमाएं विराजित हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने से जहां कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को राहत मिलती है, वहीं अकाल मृत्यु भी टल जाती है।

श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई मनौती अवश्य पूरी होती है। शिवरात्रि एवं सावन माह में श्रद्धालु मंदिर में कांवड़ चढ़ाने आते हैं। शिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। वर्तमान में इस मंदिर की सेवा असतम वैश्य, पं. सतीश सोनी, महंत किशोर शर्मा कर रहे हैं। मंदिर के नाम के बारे में श्री सोनी का कहना है कि भगवान का ये शिवलिंग काला है, इसलिए इस मंदिर का नाम काल हस्ती पड़ गया। इस मंदिर में कोई पापी भी भगवान की शरण में आकार उन्हें सच्चे दिल से याद करता है तो उसका भी कल्याण हो जाता है।

भक्तों की भक्ति खींच लाती है:- भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। भक्त इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की शरण में अपने कष्टों के निवारण के लिए आते हैं। भगवान शिव के इस मंदिर के प्रति भक्तों की अनोखी श्रद्धा उन्हें भगवान शिव के दरबार में खींच लाती है।

22 साल पुराना है मंदिर
इस मंदिर में दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्त केवल ग्वालियर से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी आते हैं। मान्यता है कि यह मंदिर करीब 22 वर्ष पुराना है। इसमें मालपुआ चढ़ाने की परंपरा है, इसलिए इस शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर श्रद्धालु मालपुआ अर्पित करते हैं।

शिवरात्रि में जल्दी सुनते हैं पुकार
शिवरात्रि पर्व शिव को मनाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। मान्यता है कि शिवरात्रि पर काल हस्ती का अभिषेक किया जाए तो भक्त की मनोकामना जल्दी पूर्ण होती है।

मालपुआ का लगता है भोग
काल हस्ती महादेव मंदिर में भगवान शिव को सिर्फ मालपुआ का भोग लगाया जाता है। वहीं पंचमुखी शिवलिंग में हर वर्ष जिन जातकों की कुंडली में काल सर्पदोष होता है, उनका निदान इनके समक्ष हर वर्ष महाशिवरात्रि व नाग पंचमी पर किया जाता है।

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Updated : 18 Feb 2017 12:00 AM GMT
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