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जब राम का नाम मीठा लगने लगे, तभी होता है दुखों का अंत

जब राम का नाम मीठा लगने लगे, तभी होता है दुखों का अंत
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-मुरार में चल रही श्रीराम कथा का तीसरा दिन
ग्वालियर। जब हम भगवान श्रीराम की स्तुति करने लगेंगे, जब घर-घर में राम का स्मरण होने लगेगा तब हमें सुख रूपी पदार्थों की आवश्यकता नहीं होगी। राम के स्मरण से बुराई और ईर्ष्या अपने आप हमसे दूर हो जाएगी। राम का नाम मीठा लगने से हमारे दुखों का अंत होने लगता है। भजन भगवान के लाभ के लिए नहीं होता भजन हमारे स्वंय के लाभ के लिए होता है। यह विचार राष्ट्र संत मां कनकेश्वरी देवी ने सोमवार को रामलीला मैदान मुरार में तीसरे दिन राम कथा सुनाते हुए व्यक्त किए।

राम कथा की शुरूआत पोथी पूजन और शिव स्तुति से की गई। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि राम कथा में राम का प्रतिपादन होता है, तभी व्यक्ति स्वयं को राम के निकट व साथ महसूस करता है। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि राम तो थे, हैं और रहेंगे लेकिन राम का प्रतिपादन नहीं होगा तो हमको राम महसूस नहीं होंगे। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि यदि आपका जीवन राम से विमुख है तो यह निश्चित है कि जो कुछ पदार्थ हमें प्राप्त होंगे वह हमें सुख नहीं पहुंचाएंगे। अधिकतर लोग कहते हैं कि वह समाज, परिवार, नौकरी होने, नौकरी नहीं होने से परेशान हैं, लेकिन समस्या के मूल कारण तक नहीं पहुंचते हैं। समस्या की समाप्ति तब ही होगी जब हम समस्या का वास्तविक रूप समझ पाएंगे। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि अगर आपका जीवन राम के अनुकूल है तो आपको जो कुछ भी मिलेगा वह आपको सुख प्रदान ही करेगा। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि दुख का मूल कारण हमारा जीवन राम से विमुख होना है। सुख अमीरी और गरीबी में नहीं होता है सुख तो राम के होने से होता है, राम के भजन से होता है और राम के स्मरण से होता है। राम के विमुख होने पर सुखदायक वस्तु भी दुख देने लगती है। इंसान जब तक ईश्वर को अपनाता नहीं है तब तक ईश्वर का प्रतिपादन उसके सामने नहीं होगा। राम कथा राम को प्रतिपादित करने का मुख्य साधन है। मां कनकेश्वरी देवी ने कहा कि पांच माला जपने वाला समझने लगता है कि उसने भगवान पर उपकार कर दिया, लेकिन ऐसा नहीं है, माला जपना और भगवान का स्मरण करना स्वयं के कल्याण के लिए होता है। मां कनकेश्वरी देवी ने गुरू की महिमा बताते हुए कहा कि शरीर के रूप में गुरू हमसे दूर हो सकते हैं लेकिन वचन के रूप में वह हमसे कभी दूर नहीं होते हैं। गुरू के वचनों को हमें अपनी झोली में भर लेना चाहिए क्योंकि यही वचन हमारे जीवन की यात्रा को सफल बनाते हैं।

यह भी कहा मां कनकेश्वरी देवी ने

-जिस प्रकार से रेल में जाने के लिए हमें स्टेशन तक पहुंचना होता है ठीक उसी प्रकार राम चरण तक जाने के लिए राम के प्रति निष्ठा जरूरी है।
-मन में अगर भगवान के स्वरूप को स्थापित नहीं किया तो जीवन का कोई लाभ नहीं होता है।
-मन के अंदर के ईश्वर के किसी एक रूप को स्थान जरूर देना चाहिए।
-संसार में भगवान के अलावा कोई श्याम सुंदर नहीं होता है।
-भगवान के रूप का आश्रय हमें संसार की चमक से प्रभावित नहीं होने देता है।

इन्होंने की आरती

श्रीराम कथा के मौके पर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की धर्मपत्नी किरण सिंह, बहन मंजू सिंह, दोनों पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह एवं प्रबल प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह, जय सिंह कुशवाह, वीरेन्द्र जैन, बाबूलाल जोशी, सुरेश गौड़, आशीष अग्रवाल आदि ने आज कथा प्रारंभ होने के पूर्व तथा कथा समापन पर श्रीरामायण की आरती की।

Updated : 10 Oct 2017 12:00 AM GMT
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