Home > Archived > करोड़ों के घोटालों में फंसे लेखापाल पर नहीं हुई कार्रवाई

करोड़ों के घोटालों में फंसे लेखापाल पर नहीं हुई कार्रवाई

करोड़ों के घोटालों में फंसे लेखापाल पर नहीं हुई कार्रवाई
X

बिना भेंट पूजा दिए पास नहीं होते बिल, मामला जयारोग्य चिकित्सालय का

ग्वालियर। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय में मैरोपेनम दवा की खरीदी में हुई गड़बड़ी का मामला रिकवरी के बाद अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इस मामले की जांच लोकायुक्त में भी चली, लेकिन वहां से भी इस मामले में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पूरे घोटाले में अस्पताल के लेखापाल रविन्द्र तोमर भी शामिल थे, लेकिन उनके खिलाफ भी अब तक कोई कार्रवाई प्रकाश में नहीं आई है।

उल्लेखनीय है कि मैरोपेनम इंजेक्शन घोटाले में अस्पताल के लेखापाल रविन्द्र तोमर का भी नाम सामने आया था, लेकिन राजनैतिक पकड़ होने के कारण उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि श्री तोमर की सहमति के बिना एक भी बिल पास नहीं किया जाता है। लेखापाल होने के कारण अस्पताल में दवा से लेकर अन्य सभी बिल श्री तोमर द्वारा ही पास किए जाते हैं। श्री तोमर के विरुद्ध पहले भी कई बार जांच चल चुकी हैं। इतना ही नहीं, श्री तोमर के खिलाफ कई शिकायतें भी सामने आई थीं, लेकिन राजनैतिक पकड़ मजबूत होने के कारण उन्हें कई मामलों में क्लीन चिट दे दी गई।

सूत्रों के अनुसार श्री तोमर के पास जब कोई निजी कम्पनी का ठेकेदार बिल पास कराने के लिए पहुंचता है तो उनके द्वारा उसे परेशान किया जाता है। जब तक ठेकेदार द्वारा उनको भेंट पूजा नहीं दी जाती है, तब तक किसी का बिल पास नहीं होता है और ठेकेदारों को बार-बार चक्कर काटना पड़ते हैं।

यह है मामला
यह मामला वर्ष 2013 के फरवरी से मई के बीच का है। कार्यालय उप महालेखाकार ने अपनी आॅडिट रिपोर्ट के आधार पर मैरोपेनम इंजेक्शन की खरीदी के मामले में आपत्ति जताते हुए कहा था कि अस्पताल प्रशासन ने 1.15 करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर शासन को नुकसान पहुंचाया है। असल में सेन्ट्रल परचेज कमेटी इन्दौर द्वारा डीजी लैब कम्पनी के मैरोपेनम इंजेक्शन की दर 385 रुपए प्रति वाइल निर्धारित है, जबकि जयारोग्य अस्पताल प्रशासन ने दवा के लिए टेंडर में जैक्शन कम्पनी के मैरोपेनम इंजेक्शन की दर 211.90 रुपए प्रति वाइल निर्धारित की थी।

कम्पनी के इंजेक्शन खरीदे, लेकिन भुगतान सेनट्रल परचेज कमेटी की दर से 2 करोड़ 54 लाख 87 हजार रुपए किया गया, जिसमें लेखापाल श्री तोमर भी शामिल थे।

Updated : 20 Jan 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top