अपने मौलिक अधिकारों को समझो...
अपने मौलिक अधिकारों को समझो...
विनोद कुमार सर्वोदय
हरियाणा के डी.जी.पी. श्री के.पी.सिंह ने कहा कि...अगर कोई किसी का घर, मकान और दुकान जलाता है, अगर कोई किसी को जान से मारने की कोशिश करता है तो कानून एक आम आदमी को भी यह अधिकार देता है कि वह उसकी जान ले ले। अगर कोई आपके सामने किसी माँ या बहन की बेइज़्ज़ती करता है तो कानून आपको यह अधिकार देता है कि आप उसकी जान ले लें, इसलिए आप एक नागरिक के रुप में अपनी भूमिका को समझिये।
आज सारा वातावरण ऐसा बन गया है कि अपराधी व आतंकी घटनाओं के प्रति उदासीन रहकर विवादों व झंझटों से अधिकांश समाज बचना चाहता है और चारों ओर हो रहे अत्याचारों के प्रति कोई प्रतिकार नहीं करता। क्योंकि उसको कानून की अनेक विसंगतियों के कारण प्राय: स्वयं भी उत्पीडि़त होना पड़ता है ।
जबकि किसी भी अन्याय का विरोध करना हमारा मौलिक व संवैधानिक अधिकार है फिर भी सामान्य नागरिकों को इसका बोध नहीं है क्योंकि कोई भी नेता व अधिकारी आदि सामाजिक चेतना के लिए कार्य ही नहीं करते । आज राजनीति इतनी कुटिल व सत्तालोलुप होती जा रही है कि साधारण नागरिकों को लोभ-लालच दे कर उनके वोटों का सौदा करने वाले नेता केवल सत्ता प्राप्ति की होड़ में लगे रहते है। जिससे सामान्य लोगों को यह अभास ही नहीं हो पाता कि यह देश मेरा भी है और मेरे भी इसके प्रति कुछ कर्तव्य हंै। अत: जब कबूतर के समान आँख बंद करके अज्ञानी बने रहोगे तो आतताई रुपी बिल्ली झपट्टा मार कर अपना शिकार कर ही लेगी।
ऐसी विपरीत परिस्थितियों में हरियाणा के डी.जी.पी. श्री के.पी.सिंह जी बहुत बधाई के पात्र हैं जो उन्होंने बढ़ते अत्याचारों व आतंकवाद का विरोध करने के लिए आम जनता को आवश्यक भूमिका निभाने का आह्वान किया है। यह उन सभी अपराधियों, देशद्रोहियों व आतंकवादियों के लिए भी एक अप्रत्यक्ष चुनौती भी है।