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तानसेन की जन्म स्थली पर गूंजे राग, तानसेन समारोह का हुआ समापन

तानसेन की जन्म स्थली पर गूंजे राग, तानसेन समारोह का हुआ समापन
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ग्वालियर। तानसेन समारोह की अष्टम सभा मंगलवार को झिलमिल नदी के किनारे घनी और मनोरम अमराई के बीच सजी। इस दौरान जब युवा सारंगी वादक अब्दुल हमीद खां ने सारंगी वादन किया तो सम्पूर्ण प्रांगण तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। तानसेन की जन्म स्थली बेहट में तानसेन की साधना स्थली शिव मंदिर के समीप बने मंच पर अंतिम संगीत सभा में अब्दुल हमीद ने अपने सारंगी वादन में सिलसिलेवार आलापचारी, बढ़त और एक ताल में विलंबित गत से सुरीली धुन निकाली। इसके बाद एक दादरा ‘नदिया नो हमारे कोउ संग चलो’ की धुन निकालकर अपने सारंगी वादन का समापन किया। उनके साथ तबले पर शाहरूख खान व सलमान खान ने संगत की। इससे पूर्व बेहट में सजी आठवीं संगीत सभा की शुरूआत तानसेन संगीत स्मारक केन्द्र बेहट के धुपद गायन से हुई। साधना केन्द्र के विद्यार्थियों ने राग भैरव में बंदिश ‘तुम हो गणपति देव’ की प्रस्तुति दी। इस सभा में महारूद्र मण्डल संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों व आचार्यों ने भी राग भैरव चौताल में निबद्ध बंदिश विष्णु चरनन जल की प्रस्तुति दी। संयोगिता केलकर के निर्देशन में हुई इस प्रस्तुति में पखावज संगत मुन्नालाल भट्ट ने की।

राग मधुवंती का चयन कर बजाई धुन
मुरैना निवासी सुभाष देशपाण्डे प्रदेश के एक मात्र नेत्रहीन वायोलिन वादक हैं। उन्होंने वायोलिन वादन के लिए राग ‘मधुवंती’ का चयन किया। इस राग में श्री देशपाण्डे ने विलंबित गत एक ताल, मध्य लय तीन ताल व दु्रत तीन ताल में गतें बजाईं। श्री देशपाण्डे द्वारा इस राग में किए गए वायोलिन वादन से भी रसिक मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद श्री देशपाण्डे ने राग मिश्र किरवानी में भी एक सुरीली धुन बजाई। उनके साथ तबले पर भोगीराम रतौनिया ने संगत की।

मां री मैं का से कहूं...
गायिका प्रियंका शर्मा ने अपनी सुरीली आवाज में ‘पायो जी मैंने रामरतन धन पायो’ गाकर वहां बैठे श्रोताओं से खूब तालियां बटोरी। उन्होंने राग शुद्ध सारंग एक ताल में निबद्ध बड़ा ख्याल ‘माँ री मैं का से कहू’ से अपने गायन की शुरूआत की। इसी राग में छोटा ख्याल अब मोरी बात...प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर संजय राठौर व हारमोनियम पर अनिल दण्डौतिया ने संगत की।

मोहिनी मूरत सांवली सूरत, मेरो मन भावे...
शहर के संगीत रसिकों ने मंगलवार को गूजरी महल में सर्द मौसम के बीच संगीत की दिलकश लहरों को महसूस किया। शाम को उत्तरी फिजा से बहकर आने वाली सर्द हवाओं के बीच कलाकारों ने ऐसी प्रस्तुति दी कि फिजा में गर्माहट घुल गई। एक से बढक़र एक कलाकारों की प्रस्तुति ने जहां श्रोताओं का दिल जीत लिया, वहीं तालियों की गडग़ड़ाहट ने कलाकारों का हौसला बढ़ाया। अवसर था पांच दिवसीय तानसेन संगीत समारोह के अंतिम दिन गूजरी महल में आयोजित संगीत सभा के समापन का। जहां अपनी प्रस्तुतियों से कलाकारों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सभा का आगाज राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के धु्रपद गायन से हुआ। ताल चौताल और राग ‘यमन’ में निबद्ध बंदिश के बोल थे चरनन सुख चिरंजीव...। भारतीय शास्त्रीय संगीत में धुप्रद के जनक राजा मानसिंह तोमर, उनकी प्रेयसी मृगनयनी और सुर सम्राट तानसेन, बैजू बाबरा जैसे नाद बृह्म के अमर साधकों की संगीत महफिल जमती थी, उसी गूजरी महल में सदियों के बाद फिर से संगीत सभा सजी। तानसेन संगीत समारोह के अंतिम दिन गूजरी महल में आयोजित संगीत सभा के समापन पर भारी संख्या में संगीत रसिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

’राग जोग में धुपद की बंदिश’
गूजरी महल में सजी संगीत सभा में भोपाल से आए मनोज कुमार ने राग ‘जोग’ से अपने गायन की शुरूआत की। चौताल में निबद्ध सुर को प्रमाण जाने... बंदिश प्रस्तुत की। वहीं राग झिझौंटी में मोहिनी मूरत सांवली सूरत, मेरो मन भावे..की प्रस्तुति देखकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी वाद्यों का आपसी तालमेल व आलाप तानों का समिश्रण गजब का जादू पैदा कर रहा था। उनके साथ पखावज पर रोमन दास और तानपुरे पर अंजनी राजौरिया व मुक्ता विवेक ने संगत की। वहीं अंतिम प्रस्तुति बसंत काबरा ने सरोद वादन की प्रस्तुति राग दरबारी में दी। उन्होंने समारोह में विभिन्न बंदिश से अपनी प्रस्तुति का आगाज किया तो श्रोता मंत्रमुग्ध से हो गए। बसंत काबरा शास्त्रीय संगीत में गहन रुचि रखते हैं। श्री काबरा सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खां के शिष्य दामोदर काबरा के पुत्र है।

तानसेन समारोह की परम्परा तोड़ी
संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में समारोह के अंतिम दिन आयोजित कार्यक्रम के दौरान 92 साल में पहली बार तय कार्यक्रम के अनुसार होने वाली प्रस्तुति के अलावा क्षेत्रीय विधायक भारत सिंह कुशवाह के दखलअंदाजी से एक अन्य कलाकार से सभा में प्रस्तुति दिलवाई गई। अभी तक तानसेन समारोह में आयोजन समिति द्वारा प्रस्तुति के लिए जिन कलाकारों के नाम और उनका समय तथा तिथि तय की जाती है, उसी के अनुसार कलाकार प्रस्तुति देते रहे हैं। लेकिन तानसेन समारोह में ऐसा पहली बार हुआ है जब कार्यक्रम से हटकर किसी कलाकार ने प्रस्तुति दी है।

विधायक ने किया भूमि पूजन
संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में जिस मंच पर संगीत सभा आयोजित होती हैं, उस पर छत का निर्माण कराया जाएगा। मंगलवार को विधायक भारत सिंह कुशवाह ने बेहट में आयोजित हुई संगीत सभा के दौरान इस कार्य का भूमि पूजन किया। उन्होंने इसके लिए अपनी विधायक निधि से 5 लाख 55 हजार रूपए की राशि मंजूर की है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय, एसडीएम मुरार ग्रामीण एच बी शर्मा, तहसीलदार शारदा पाठक व जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजीव मिश्रा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

Updated : 21 Dec 2016 12:00 AM GMT
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