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रोशनी वाले साहब की सबसे कट्टी

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे ...

‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कंूचे से हम निकले’ यह पुरानी और प्रसिद्ध कहावत निगम के तीसरे नम्बर वाले साहब के साथ चरितार्थ हो गई। हुआ यूं कि बड़े साहब की कार्यप्रणाली से मुसीबत में पड़े इन साहब ने उनके साथ कुछ भी बुरा होने से पहले यहां से निकलना ही बेहतर समझा और सारा दमखम अपना स्थानांतरण कराने में लगा दिया, इसमें उन्हें सफलता भी मिल गई, अब वह वापस उसी शहर में जा रहे हैं जहां से कि जुगाड़ लगाकर यहां आए थे, इस तरह बड़े साहब ने उनके सारे मन्सूबों पर पानी फेर दिया। अपने रमुआ की मानें तो बहुत दिनों तक उन्होंने इंतजार भी किया कि शायद बड़े साहब की यहां से बिदाई हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो हारकर उन्होंने खुद ही यहां से बिदाई लेना उचित समझा।

रोशनी वाले साहब की सबसे कट्टी

आम और खास सभी को रोशन करने वाली कम्पनी में षडय़ंत्र पूर्वक आंकलित खपत के माध्यम से लोगों के साथ हर माह जो ठगी की जा रही है, उसे लेकर आए दिन खबरें छप रही हैं। इससे नाराज सिटी सर्किल वाले साहब ने सभी से कट्टी कर ली है। पिछले काफी समय से साहब ने खबर वालों से मिलना-जुलना और फोन पर बात करना तक बंद कर दिया है। ऐसे में अपने रामजी का तो साहब से यही कहना है कि किसी से इतनी मत बिगाड़ो कि भविष्य में जरूरत पडऩे पर कोई आपके काम ही न आए क्योंकि नौकरी का क्या भरोसा, आज यहां तो कल कहीं और..! कहने का तात्पर्य यह है कि आज आप सिटी सर्किल में सर्वोपरि हैं, लेकिन क्या पता, पिछले साहबों की तरह कल आपको भी लूप लाइन में डाल दिया जाए।

अपना वादा भूले साहब
पड़ाव स्थित परिवहन विभाग वाले नए साहब को अपना पद संभाले हुए काफी समय हो गया है। जब वह आए थे तो उन्होंने अपने अधीनस्थों के साथ ही लोगों से यह वादा किया था कि वह प्रतिदिन समस्याओं को सुनेंगे और निपटाएंगे और किसी को कोई परेशानी नहीं होने देंगे लेकिन अब शायद वह अपना वादा भूल गए हैं और लोगों को फिर से पुराने वाले साहब के समय की परेशानियां याद आने लगी हैं।

अरविन्द माथुर, दिनेश शर्मा, अरुण शर्मा

Updated : 18 Oct 2016 12:00 AM GMT
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